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एक जानने बाले की मौत की खबर के असर से उबर भी नहीं पाते कि दूसरी खबर तैयार खडी होती है।निश्चित ही ये परिस्थितियां किसी नारकीय यातना से कम नहीं हैं। लेकिन इस सब के बाबजूद हम हैं कि सुधरने और सम्भलने का नाम ही नहीं ले रहे।