सुदर्शन हमेशा हिन्दू हितों से जुड़े मुद्दे को प्रमुखता से उठाता है और उसे अंजाम तक भी पहुंचता है. फिर से एक बार सुदर्शन के प्रयास को सफलता मिली है. जिसके बाद अब आखिरकार भारी विवाद के बाद करवाचौथ लेस्बियन ऐड को हटा लिया है। दरअसल डाबर ने फेम ब्लीच का ऐड रिलीज किया था, जिसमें लेस्बियन कपल को करवाचौथ सेलिब्रेट करते दिखाया गया था। कुछ दिन पहले ही सुदर्शन ने डाबर के एक एड को लेकर सवाल उठाया था। डाबर इंडिया लिमिटेड के उत्पाद फेम क्रीम ब्लीच के विज्ञापन के बाद यह पूरा विवाद खड़ा हुआ था। जिसमें एक समलैंगिक महिला जोड़े को करवा चौथ मनाते हुए और एक-दूसरे को छलनी से देखते हुए दिखाया गया था।
इस विज्ञापन के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने डाबर का विरोध करना शुरू कर दिया था। कई लोगों ने कहा था कि इस ऐड की वजह से उनकी भावनाएं आहत हुई हैं। इतना ही नहीं इस मामले में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले में डाबर इंडिया कंपनी पर कार्रवाई करने की बात भी कही थी। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के पुलिस प्रमुख को डाबर इंडिया कंपनी को अपने एक उत्पाद का '' आपत्तिजनक'' विज्ञापन वापस लेने के लिए कहने अथवा विज्ञापन वापस नहीं लेने की स्थिति में कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
बता दें कि करवा चौथ पर विवाहित हिंदू महिलाएं, विशेषतौर पर उत्तर भारत में, अपने पति की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं और व्रत पूरा करने की रस्म में पत्नी छलनी में चंद्रमा के साथ अपने पति का चेहरा देखती है। रविवार 24 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया गया।
मिश्रा ने यहां पत्रकारों से कहा था, '' मैं इसे बहुत गंभीर विषय मानता हूं। हिंदू धर्म के धार्मिक त्योहारों को लेकर ही इस तरह की क्लीपिंग, विज्ञापन क्यों जारी किए जाते हैं? आज वो इन लेस्बियन को करवा चौथ का व्रत तोड़ते हुए, छलनी में देखते हुए बता रहे हैं। कल को दो लड़कों को ही फेरे लेते हुए दिखा देंगे, शादी करते दिखा देगें। ये आपत्तिजनक है। अभी मैंने डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि इसका परीक्षण कराएं और उस कंपनी को इसे हटाने को कहें अन्यथा हम वैधानिक कार्रवाई करेंगे।''
आपको बता दें इससे पहले रविवार रात को, डाबर ने एक अलग बयान में सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “डाबर और फेम एक ब्रैंड के रूप में विविधता, समावेश और समानता के लिए प्रयास करते हैं, और हम अपने संगठन और अपने समुदायों के भीतर इन मूल्यों का गर्व से समर्थन करते हैं। हमारे अभियान भी यही दर्शाते हैं। हम समझते हैं कि हर कोई हमारे रुख से सहमत नहीं होगा, और हम एक अलग दृष्टिकोण रखने के उनके अधिकार का सम्मान करते हैं। हमारा इरादा किसी भी विश्वास, रीति-रिवाजों और परंपराओं, धार्मिकता आदि को ठेस पहुँचाना नहीं है। अगर हमने किसी व्यक्ति या समूह की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, तो यह अनजाने में हुआ था, और हम माफी मांगते हैं।"