भारत में 'मिसाइल मैन' के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को 1998 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। कलाम साहब को भारत रत्न मिलने के बाद बधाई देने के लिये सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी पहुंचे थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी एवं मिसाइल मैन की मुलाकात कई वर्ष पहले हुई थी।
बता दें कि मिसाइल मैन की प्रसिद्धी 1980 में एसएलवी 3 की सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद अधिक हो गयी थी। उस समय देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कलाम को प्रमुख सांसदों से मिलने के लिये बुलाया था। उस सभा में अटल बिहारी वाजपेयी भी मौजूद थे। एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब कलाम को इस बात की जानकारी मिली थी, तो वह थोड़ा घबरा गए थे। सतीश धवन से उन्होंने कहा था कि मैं कैसे उस सभा का हिस्सा बन सकता हूं? न मेरे पास सूट है और न ही जूते हैं, सिर्फ मेरे पास चप्पल हैं। तो इस बात पर सतीश ने कलाम से कहा था कि 'कलाम तुम पहले से ही सफलता का सूट पहन रखे हो, सभा में सम्मलित होने आ जाना।'
आपको बता दें कि मीटिंग के दौरान जब इंदिरा गांधी ने मिसाइल मैन की मुलाकात अटल बिहारी से करवाई और कलाम का परिचय दिया तो वाजपयी ने कलाम से हाथ मिलाने के बजाय गला मिला लिया। कलाम को लेकर इंदिरा गांधी ने अटल जी से कहा कि कलाम तो मुसलमान हैं। इंदिरा गांधी की इस बात का जबाब अटल बिहारी वाजपेयी ने कुछ अलग ही अंदाज में दिया और कहा कि मुसलमान हैं परन्तु, वो पहले भारतीय हैं और साथ ही एक महान साइंटिस्ट भी।
भारतीय राजनीति में 1990 का दशक काफी उथल-पुथल सा माना जाता है। राम मंदिर के मुद्दे के चलते बीजेपी सत्ता पर तो काबिज हो गई लेकिन, कुछ ही दिनों बाद अटल बिहारी वाजपेयी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। एक बार फिर जब अटल बिहारी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का न्योता भेजा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर राष्ट्रपति कलाम ने पूरे दिन सोच-विचार किया लेकिन, वह विनम्रता से इस पद पर शामिल होने से इंकार कर दिया। कलाम ने रक्षा शोध और परमाणु परीक्षण का हवाला दिया। कुछ समय बाद ही पोखरण में परमाणु विस्फोट करते ही स्पष्ट हो गया कि उन्होंने इस पद को क्यों नहीं स्वीकार किया।