तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच स्कूल खुलने पर अभिभावकों की क्या है राय, जानिए
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच देश के कई राज्यों में स्कूल फिर से खुलने लगे हैं। लेकिन, अभी भी अभिभावक स्कूलों में होने वाली असेंबली और दूसरे बच्चों के साथ बैठकर टिफिन खाने से चिंतित नजर आ रहे हैं।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच देश के कई राज्यों में स्कूल फिर से खुलने लगे हैं। लेकिन, अभी भी अभिभावक स्कूलों में होने वाली असेंबली और दूसरे बच्चों के साथ बैठकर टिफिन खाने से चिंतित नजर आ रहे हैं। अभिभावकों का मानना है कि इससे कोरोना संक्रमण तेजी से फैल सकता है और बच्चों के जरिए कोरोना हर घर में पहुंच सकता है। हाल ही में हुए एक संस्था के सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। यह संस्था कोरोना काल में बच्चों की शिक्षा और उन्हें स्कूल भेजने तक अभिवावकों से लगातार प्रतिक्रिया ले रहा है। संस्था के ताजा सर्वे में सामने आया है कि स्कूलों में बच्चों और टीचर्स के हर समय मास्क पहनने वाले नियम से अभिभावक संतुष्ट नजर आ रहे हैं। लेकिन, स्कूलों में सामाजिक दूरी के नियमों का पालन ठीक तरीके नहीं होने से वे थोड़े डरे हुए भी हैं।
वहीं सर्वे में सामने आया कि 41 फीसदी बच्चे क्लास रूम में बैठक कर अपना टिफिन खा रहे हैं। जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। वहीं 51 फीसदी अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों में इंडोर असेंबली हो रही है। इससे बच्चों में वायरस फैलने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। इसलिए स्कूलों में बच्चों की असेंबली या तो बंद होनी चाहिए या फिर खुले मैदान में सामाजिक दूरी के नियमों के पालन के साथ कराई जाए।
सर्वे में अभिभावकों ने यह भी कहा कि कोरोना प्रोटोकाॅल को देखते हुए क्लास रूम खुले हुए होने चाहिए। 36 फीसदी अभिभावकों का कहना है कि उनके बच्चों की क्लास में एयर वेंटिलेशन नहीं है। कई जगह खिड़कियां हैं हीं नहीं, वहीं कई स्कूलों में खिड़कियां हैं तो वे बंद रहती हैं। उनका कहना है कि स्कूलों में अधिकांश शिक्षकों को प्रोटोकॉल की भी जानकारी नहीं है। हालांकि इस सर्वे में 84 फीसदी अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों में बच्चों और टीचर्स के चेहरे पर मास्क लगाने वाले नियम का अच्छे से पालन किया जा रहा है। जबकि 70 फीसदी अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता के मापदंड का ठीक से पालन किया जा रहा है।