उत्तर प्रदेश में पिछले साढ़े चार साल से काम कर रही बीजेपी सरकार, इस बार होने वाले चुनावी घमासान में बाज़ी मार सकती है। पिछले सालो में अपराध के मामलो में आई कमी और हुए विकास कार्यो से सूबे की जनता भाजपा सरकार से खासी प्रभावित है, और हो सकता है की इस बार भी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी , उत्तर प्रदेश का इतिहासबदल कर एक बार फिर 'उत्तर प्रदेश' में 'कमल' खिला दे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस बार 325-350 सीट जीतकर सूबे की गद्दी पर फिर वापस आ सकती है। योगी आदित्यनाथ ने अपने दावे को पुष्ट करने के लिए शासन, आर्थिक विकास और कानून-व्यवस्था के मामले में अपनी सरकार के रिकॉर्ड का हवाला दिया। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को विश्वास है कि वह अपनी सरकार के शासन के रिकॉर्ड पर ध्यान केंद्रित करके और जातिगत समीकरण को सही करके किसी भी सत्ता विरोधी लहर को दूर करने में कामयाब रहेंगे।
साथ ही योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकारों पर बात करते हुए, उनपर तीखे आरोपों की बिजलियां भी गिराते चले। प्रधानमंत्री आवास योजना में गरीबों को दिए गए 42 लाख आवासों का जिक्र करते हुए चुटकी ली कि पूर्व के मुख्यमंत्रियों में अपनी हवेली बनाने की होड़ रहती थी, जबकि हमने गरीबों के घर बनाए। अपने शासनकाल में साढ़े चार लाख युवाओं को सरकारी नौकरी का आंकड़ा गिनाया तो विपक्ष भी निशाने पर रहा। बोले कि 2017 से पहले भर्तियों के साथ ही एक खानदान वसूली के लिए निकल पड़ता था। सीएम योगी ने कहा कि अब यूपी ने सुरक्षा और सुशासन का माडल दिया है, इसलिए 2022 में भाजपा 350 से अधिक सीटें जीतेगी।
4.5 लाख सरकारी नौकरियां देने का दावा
अपने कार्यकाल में 4.5 लाख सरकारी नौकरियां पारदर्शिता से देने का दावा करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह नौकरियां चेहरा नहीं, योग्यता देखकर दी हैं। भाजपा शासन से पहले प्रदेश में वर्षों से नियुक्तियां लंबित थीं, क्योंकि पिछली सरकारों की सोच नहीं थी। भर्तियां निकलते ही पूरा खानदान वसूली के लिए निकल पड़ता था। इस शासनकाल में न्यायालय को किसी भर्ती में स्थगन आदेश नहीं देना पड़ा। अधिकारियों के तबादलों को लेकर भी मुख्यमंत्री ने पिछली सरकारों पर निशाना साधा। कहा कि 2017 से पहले ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग था। हर पद बिकता था। अब कोई ऐसा आरोप नहीं लगा सकता। इस सरकार में प्रशासन में स्थिरता रही। पहले अफसर दो-तीन महीने में ताश के पत्तों की तरह फेंट दिए जाते थे।