सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

क्या कश्मीर को 90 के दशक में लौटाने की साजिश हो रही है ?

जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से आतंकी सक्रिय हो गए हैं. कश्मीर घाटी में नब्बे की दशक जैसे हालात दिख रहे हैं. सीमापार से रची जा रही है साजिश. आर्टिकल 370 हटने के बाद से हतोत्साहित हैं आतंकी. आम लोगों को निशाना बना रहे हैं आतंकवादी. एक सप्ताह में 7 लोगों की हत्या हुई है. आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में घटना को दिया अंजाम. स्कूल में शिक्षकों को लाइन में खड़े कराकर उनकी पहचान की. आतंकियों ने गैर हिन्दुओं को छोड़, गैर-मुस्लिम शिक्षकों की हत्या की. शिक्षिका सतिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हुई हत्या. सतिंदर कौर स्कूल की प्रिंसिपल और दीपक कौल शिक्षक और कश्मीरी पंडित थे. आतंकी पहले से ही घात लगाए हुए थे. आतंकियों की तलाश में सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है.

Jitendra Pratap Singh @JitendraStv
  • Oct 8 2021 10:26PM

जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से आतंकी सक्रिय हो गए हैं. कश्मीर घाटी में एक बार फिर से नब्बे की दशक जैसे हालात पैदा करने की साजिश सीमापार से रची जा रही है. आर्टिकल 370 हटने के बाद से हतोत्साहित होकर आतंकी आम लोगों को निशाना बनाने लगे हैं. एक कश्मीरी पंडित सहित तीन लोगों की हत्या के बाद एक बार फिर आतंकियों ने दो लोगों की हत्या कर दी, जिसमें एक हिंदू और एक सिख है. आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में स्थित एक स्कूल में शिक्षकों को लाइन में खड़े कराकर पहले उनकी पहचान की, मोबाइल फोन की जाँच की, उनके आइडेंटिटी कार्ड चेक किए, इसके साथ ही आतंकियों ने उनसे पूछताछ भी की और उनमें से जो मुस्लिम थे उन्हें छोड़ दिया. फिर दो गैर-मुस्लिम शिक्षकों की पहचान कर हत्या कर दी.

शिक्षिका सतिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की जिस प्रकार से हत्या हुई है उसको लेकर लोगों में खौफ और गुस्से का माहौल है. सतिंदर कौर की माँ ये सवाल पूछ रही है की आतंकवादी को गोली क्यों नहीं मारी गई, उनकी बेटी की क्या कसूर थी? सतिंदर कौर स्कूल की प्रिंसिपल और दीपक कौल शिक्षक और कश्मीरी पंडित थे. आतंकी पहले से ही घात लगाए हुए थे और जैसे ही स्कूल खोलने के लिए दोनों शिक्षक वहाँ पहुँचे, आतंकी स्कूल में घुस गए. आतंकियों की तलाश में सुरक्षाबलों ने भी सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है. बीते एक सप्ताह के भीतर घाटी में 7 नागरिकों की हत्या हुई है. इसमें से 4 गैर-मुस्लिम हैं. माना जा रहा है कि इस तरह के हमलों का मकसद गैर-मुस्लिमों को डराना है, ताकि कश्मीरी पंडित घाटी में बसने के लिए तैयार ना हों और जो गैर-मुस्लिम घाटी में हैं, वे डरकर भाग जाएँ.

5 अक्टूबर को आतंकियों ने अलग-अलग हमलों में तीन आम नागरिकों की हत्या कर दी थी. मारे गए लोगों में से एक कश्मीरी पंडित माखनलाल बिंदरू श्रीनगर के प्रसिद्ध केमिस्ट थे. आतंकियों ने उनके दुकान में घुसकर उन्हें गोली मारी थी. दूसरी घटना में श्रीनगर के लाल बाजार इलाके में शाम के करीब साढ़े आठ बजे बिहार के गोलगप्पा बेचने वाले व्यक्ति की हत्या कर दी गई. पुलिस के अनुसार, श्रीनगर के मदीन साहब लालबाजार के पास आतंकियों द्वारा मारे गए शख्स की पहचान वीरेंद्र पासवान के तौर पर हुई है. हालिया घटना के बाद से सरकार और सेना दोदों एक्शन में है, जल्द हीं घटना को अंजाम देने वाले आतंकियों को ढेर कर दिया जाएगा.

19 जनवरी 1990 की वो काली रात जिसे सुनकर सिहर उठते हैं कश्मीरी पंडित

कश्मीर में हुई एक के बाद आतंकी वारदातों के बाद से घाटी में फिर से 1990 के दशक जैसे हालात पैदा हो गया है. ऐसे एक बार हमें फिर से इतिहास की तरफ मुड़ कर देखना होगा कि आखिर क्या कुछ हुआ था उस वक्त. कैसी थी वो काली रात, कैसे रातों रात पूरा कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गया था. तो आईये हम आपको बताते है के कैसे हिन्दुओं में दहशत पैदा कर कश्मीर घाटी को सुलगाया गया था. देश की आजादी के बाद धरती के जन्नत कश्मीर में जहन्नुम का मौहाल बन चुका था. 19 जनवरी 1990 की काली रात को करीब तीन लाख कश्मीरी पंडितों को अपना आशियाना छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ा था. अलगावादियों ने कश्मीरी पंडितों के घर पर एक नोटिस चस्पा की गई. जिसपर लिखा था कि या तो मुस्लिम बन जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ...या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ.

इस दौरान कश्मीरी पंडितों की बहू, बेटियों के साथ उग्रवादियों ने बलात्कार और लूट-पाट की वारदात को अंजाम देने लगे. हर तरफ कत्लेआम हो रहा था. जन्नत में हर ओर मौत और दहशत का मंजर था. कश्मीर में हथियारबंद आंदोलन शुरु होने के बाद उसी राततीन लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडित अपने परिवार के साथ अपना घर, अपनी जन्मभूमि छोड़ने पर मजबूर हो गए. घाटी से पलायन करने के बाद कश्मीरी पंडित जम्मू और देश के अलग-अलग इलाकों में रहने को मजबूर हो गए. यहां भी उनके साथ अत्याचार सालों तक होता रहा. इस नरसंहार में कुल जिसमें 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. आतंकियों ने कश्मीरी हिन्दुओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद उनकी हत्या के दी गई.

घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और लड़कियों के अपहरण किए गए. मस्जिदों में भारत एवं हिंदू विरोधी भाषण दिए गए. सभी कश्मीरियों को इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाने का हुक्म सुनाया गया था. उधर पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने टीवी पर कश्मीरी मुस्लिमों को भारत से अलग होने के लिए भड़काना शुरू कर दिया था.  इस सबके बीच कश्मीर से पंडित रातों -रात अपना सबकुछ छोड़ने के मजबूर हो गए. वर्तमान हालात कुछ इसी ओर इशारा कर रहा है. तो यहां सवाल ये खड़ा होता हैं की क्या एक बार फिर कश्मीर घाटी में 1990 जैसे हालात पैदा किया जा रहा है ?

0 Comments

संबंधि‍त ख़बरें

अभी अभी