सुदर्शन के राष्ट्रवादी पत्रकारिता को सहयोग करे

Donation

कोंच की ऐतिहासिक रामलीला की पहचान लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज

जालौन के कोंच नगर की ऐतिहासिक अनुष्ठानी रामलीला का आरंभ पूरे विधि-विधान के साथ शुरू किया गया है। इस अनुष्ठानी रामलीला का पहचान लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है। यहां की ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन पुरानी परंपराओं और अनुष्ठानों के साथ किया जाता है। इस रामलीला में सबसे खास बात यह है कि 169 वर्ष पुरानी परंपराओं और अनुष्ठानों का निर्वहन करते हुए हर वर्ष इस रामलीला का आयोजन किया जाता है। जो निश्चित रूप से बहुमूल्य धरोहर है। इसी अद्भुत पहचान की वजह से इसका नाम लिम्का बुक में रिकार्ड है।

mchavhanke
  • Oct 4 2021 3:03PM
जालौन के कोंच नगर की ऐतिहासिक अनुष्ठानी रामलीला का आरंभ पूरे विधि-विधान के साथ शुरू किया गया है। इस अनुष्ठानी रामलीला का पहचान लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है। यहां की ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन पुरानी परंपराओं और अनुष्ठानों के साथ किया जाता है। इस रामलीला में सबसे खास बात यह है कि 169 वर्ष पुरानी परंपराओं और अनुष्ठानों का निर्वहन करते हुए हर वर्ष इस रामलीला का आयोजन किया जाता है। जो निश्चित रूप से बहुमूल्य धरोहर है। इसी अद्भुत पहचान की वजह से इसका नाम लिम्का बुक में रिकार्ड है। 

कोंच नगर की रामलीला कई मायनों में खास है। यहां कुछ लीलाएं मंच पर न होकर मैदान में कराई जाती हैं। जिसे देखने के लिये हजारों की संख्या में लोग आते हैं। 169 वर्षों से चली आ रही इस अनवरत परंपरा का निर्वहन गांव के लोग ही करते हैं। इस रामलीला में अभिनय करने वाले कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की पारिश्रमिक नहीं लेते हैं और इसमें लोगों के द्वारा अभिनय बिल्कुल जीवंत रूप से किया जाता है। राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न का किरदार गांव के 10-15 वर्ष के ब्राहम्ण बच्चें निभाते हैं, भगवान के रूप में बने किरदार की पूजा पूरे गांव में भक्ति-भाव से की जाती है। कोंच की रामलीला में पारसी रंगमंच शैली की झलक स्पष्ट तौर पर दिखती है। वर्ष 2008 में अयोध्या शोध संस्थान ने इस रामलीला का कवरेज कराया था और पूरे देश में रामलीलाओं के किए गए सर्वेक्षण में कोंच की रामलीला को सर्वश्रेष्ठ मैदानी रामलीला का खिताब मिला था। कोंच की ऐतिहासिक रामलीला को नई ऊंचाई तक ले जाने में गांव की जन-सहभागिता का बहुत बड़ा योगदान है।  

कोंच के रामलीला कमेटी के पदाधिकारी पुरुषोत्तम रिछारिया ने कहा कि यह ऐतिहासिक रामलीला 169 वर्ष पुरानी है। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह गौड़ कोंच की रामलीला को देखने आए थे और अब उनके वंशज इस रामलीला का भक्ति भाव से पूजा करके शुभारंभ करते हैं। इस रामलीला का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है, क्योंकि इसमें काम करने वाले स्थानीय कलाकार नि:शुल्क सेवा-भाव के साथ जुड़े हैं। 
0 Comments

संबंधि‍त ख़बरें

अभी अभी