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बच्चों के लिए बहुत खतरनाक है डेंगू का यह डेन -2स्ट्रेन, जानिए विशेषज्ञों ने क्या दी अपनी राय

एक ओर कोरोना वायरस का खतरा टला नहीं था कि दूसरी ओर डेंगू ने आकर मुश्किलें और ज्यादा बढ़ा दीं। बारिश के मौसम के साथ-साथ अब डेंगू ने भी तेजी से पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। फिरोजाबाद समेत यूपी के कई जिलों में इसके मरीजों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञों ने इसे डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन बताया है

Mchavhanke
  • Sep 13 2021 3:20PM
एक ओर कोरोना वायरस का खतरा टला नहीं था कि दूसरी ओर डेंगू ने आकर मुश्किलें और ज्यादा बढ़ा दीं। बारिश के मौसम के साथ-साथ अब डेंगू ने भी तेजी से पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। फिरोजाबाद समेत यूपी के कई जिलों में इसके मरीजों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। विशेषज्ञों ने इसे डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन बताया है। यह स्ट्रेन दिमाग, लीवर, फेफड़ों पर गंभीर रूप से अपनी पकड़ बना रहा है। इसमें 80 फ़ीसदी खतरा बच्चों के लिए लगातार बढ़ रहा है। चिकित्सक मच्छरों से बचने और पौष्टिक आहार लेने की सलाह दे रहे हैं।

आगरा का हाल

आगरा के सीएमओ डॉ अरुण श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि "आगरा में अभी तक डेंगू के मिले 19 मरीजों में 11 बच्चे हैं। इनकी उम्र 3.5 साल से 15 साल है। यह निजी और सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं। इनमें बुखार के साथ उल्टी और लीवर में सूजन की दिक्कत भी मिली है। राहत की बात है कि इलाज के बाद यह ठीक हो रहे हैं।"

एसएन के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. विकास गुप्ता ने बताया कि "डेंगू के चार सीरोटाइप होते हैं, जिसे डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4 बोला जाता हैं। इसमें डेन-2 अन्य से ज्यादा खतरनाक है। इसमें मरीज के दिमाग में ब्लीडिंग होने लगती है। इससे मरीज की मौत हो जाती है। फिरोजाबाद और आगरा में आईसीएमआर ने इस स्ट्रेन की पुष्टि की है।"

एसएन मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ अंकुर गोयल ने बताया कि "डेंगू से पहले किसी अन्य स्ट्रेन से पीड़ित व्यक्ति दूसरी बार में स्ट्रेन कोई दूसरा है तो यह खतरनाक बन जाता है। हाल में जो बच्चों में यह डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन मिला है, उनमें से अधिकांश पहले भी डेंगू की चपेट में आए हैं।"

क्या है डेंगू से बचने की सलाह


डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू से सावधानी बरतना बहुत जरूरी है, इसके लिए कहीं भी बारिश का या साफ पानी जमा न होने दें। 
टंकियों व पीने के पानी को ढक कर रखें। 
कूलर इत्यादि में भरे हुए पानी को लगातार बदलते रहें और उसमें मिट्टी का तेल छिड़क लें। 
बच्चों के हाथ-पैर ढक कर रखें, पूरे कपड़े पहनाएं।
ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करते रहें। जैसे- जूस, नारियल पानी, फ्रूटी इत्यादि।
जरा भी लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें, लापरवाही ना करें।
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