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श्री निर्मोही अनी अखाड़ा– रामभक्ति, वैराग्य धर्म रक्षा का संगम-24

महाकुंभ: श्री निर्मोही अनी अखाड़ा – सनातन धर्म की वैष्णव परंपरा का प्रहरी

Dr. Suresh Chavhanke
  • Feb 5 2025 3:15PM

श्री निर्मोही अनी अखाड़ा – रामभक्ति, वैराग्य और धर्म रक्षा का संगम

महा कुंभ लेखमाला – लेख क्रमांक 24

प्रस्तावना: श्री निर्मोही अनी अखाड़ा – सनातन धर्म की वैष्णव परंपरा का प्रहरी

श्री निर्मोही अनी अखाड़ा सनातन धर्म की वैष्णव भक्ति परंपरा का प्रमुख केंद्र है, जो श्रीराम भक्ति, धर्म रक्षा और समाज सेवा को समर्पित है।

• यह अखाड़ा रामानंदी संप्रदाय से जुड़ा हुआ है और इसकी शिक्षाएँ श्रीरामचरितमानस, भगवद्गीता और वेदों पर आधारित हैं।
• इसकी स्थापना मुगल आक्रमणों के दौरान धर्म की रक्षा और श्रीराम भक्ति के प्रचार के लिए की गई थी।
• यह अखाड़ा वैराग्य, तपस्या और संन्यास की परंपराओं का पालन करता है।
• अखाड़े के संत श्रीराम, श्रीकृष्ण और विष्णु की भक्ति में लीन रहते हैं और समाज में सनातन संस्कृति के प्रचारक होते हैं।

1. श्री निर्मोही अनी अखाड़े की स्थापना और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

1.1 अखाड़े की उत्पत्ति और उद्देश्य

• स्थापना वर्ष: 18वीं शताब्दी (रामानंदाचार्य परंपरा के तहत)।
• स्थान: अयोध्या, मथुरा, प्रयागराज, उज्जैन और अन्य प्रमुख वैष्णव तीर्थों में सक्रिय।

• उद्देश्य:

• श्रीराम और वैष्णव भक्ति का प्रचार और प्रसार।
• समाज में धर्म रक्षा, तपस्या और संन्यास जीवन का प्रचार।
• संतों को आध्यात्मिक शिक्षा और धर्म प्रचार के लिए प्रशिक्षित करना।
• समाज सुधार और मानव सेवा के कार्यों में सक्रिय भागीदारी।

1.2 अन्य अखाड़ों से विशिष्टता

• अन्य अखाड़ों की तुलना में निर्मोही अनी अखाड़ा पूरी तरह वैराग्य और श्रीराम भक्ति पर केंद्रित है।
• इसमें संतों के लिए सख्त ब्रह्मचर्य और त्याग का पालन अनिवार्य होता है।
• अखाड़े के संत श्रीराम को अधिष्ठान देवता मानते हैं और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं।

2. साधना पद्धति और उपासना प्रणाली

2.1 श्रीराम भक्ति और वैष्णव संन्यास परंपरा

• श्री निर्मोही अनी अखाड़े के संत श्रीराम, श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की उपासना करते हैं।
• यहाँ वेद, उपनिषद, भगवद्गीता और रामायण का गहन अध्ययन किया जाता है।
• अखाड़े के संन्यासी संकीर्तन, भजन-पूजन और सत्संग के माध्यम से श्रीराम भक्ति को प्रचारित करते हैं।

2.2 ध्यान, अनुशासन और समाज सेवा

1. नित्य संकीर्तन और प्रवचन:

• अखाड़े में प्रतिदिन श्रीरामचरितमानस पाठ, श्रीराम नाम संकीर्तन और भागवत कथा का आयोजन किया जाता है।

2. धर्म रक्षा और सामाजिक कार्य:

• यह अखाड़ा श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है।
• धार्मिक शिक्षा और धर्मरक्षा के लिए संतों को प्रशिक्षित करता है।

3. अध्यात्म और गुरु-शिष्य परंपरा:

• यहाँ गुरु-शिष्य परंपरा का पालन किया जाता है और वेदों की शिक्षा दी जाती है।

3. कुम्भ मेले में श्री निर्मोही अनी अखाड़े की भूमिका

3.1 अमृत स्नान और शोभायात्रा

• अमृत स्नान (शाही स्नान) के दौरान श्री निर्मोही अनी अखाड़ा अपनी वैष्णव परंपरा, भक्ति और ज्ञान का प्रदर्शन करता है।
• इसकी शोभायात्रा में रामभक्त संत, नागा संन्यासी और वैरागी महंत सम्मिलित होते हैं।
• यह अखाड़ा कुम्भ मेले में सनातन धर्म के वैष्णव मत की महिमा को प्रकट करता है।

3.2 आध्यात्मिक शिविर और प्रवचन

• कुम्भ मेले में अखाड़ा रामकथा, योग और ध्यान पर विशेष प्रवचन आयोजित करता है।
• यहाँ संकीर्तन, श्रीराम नाम जाप और भक्ति प्रवचन का आयोजन किया जाता है।
• धर्म रक्षा और समाज सुधार से जुड़े विषयों पर चर्चा होती है।

4. श्री निर्मोही अनी अखाड़े के प्रमुख संत और उनका योगदान

4.1 ऐतिहासिक संत

1. महंत रामानंदाचार्य जी महाराज:

• श्रीराम भक्ति और वैराग्य के प्रचारक।
• समाज में वैदिक परंपराओं को पुनः स्थापित किया।

2. महंत अवधूतानंद जी महाराज:

• श्रीराम कथा और संकीर्तन परंपरा के संवाहक।
• अयोध्या और श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में योगदान।

4.2 आधुनिक संत और उनका प्रभाव

1. आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी राजेंद्र दास जी महाराज:

• वर्तमान आचार्य महामंडलेश्वर हैं।
• वेदांत शिक्षा और श्रीराम भक्ति में विशेष योगदान दे रहे हैं।

2. महामंडलेश्वर स्वामी बालकृष्ण दास जी महाराज:

• ध्यान, योग और संकीर्तन के माध्यम से भक्ति जागरण कर रहे हैं।
• धर्मरक्षा और राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं।

5. अन्य अखाड़ों से भिन्नता

1. श्रीराम भक्ति पर विशेष ध्यान:

• यह अखाड़ा श्रीराम, श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की भक्ति पर केंद्रित है।

2. वैराग्य और संन्यास की कठोर परंपरा:

• अन्य अखाड़ों की तुलना में यहाँ संन्यास, वैराग्य और कठोर तपस्या को प्राथमिकता दी जाती है।

3. रामायण और भागवत कथा का प्रचार:

• इस अखाड़े में रामायण, भागवत कथा और वेदांत पर विशेष व्याख्यान होते हैं।

4. समाज सुधार और धर्म रक्षा:

• यह अखाड़ा धार्मिक शिक्षा, सेवा कार्य और समाज सुधार में भी सक्रिय भूमिका निभाता है।

6. श्री निर्मोही अनी अखाड़ा का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

श्री निर्मोही अनी अखाड़ा श्रीराम भक्ति, वैराग्य और धर्म रक्षा का महान केंद्र है।

• यह अखाड़ा योग, ध्यान, भक्ति और धर्म रक्षा के सिद्धांतों को आगे बढ़ाता है।
• इसके संत और अनुयायी श्रीराम नाम संकीर्तन, वेदांत शिक्षा और समाज सेवा के माध्यम से सनातन धर्म की परंपराओं को मजबूत कर रहे हैं।
• यह अखाड़ा सनातन धर्म की वैदिक परंपराओं, भक्ति और राष्ट्र रक्षा के लिए समर्पित है।

मुख्य वाक्य:

“श्री निर्मोही अनी अखाड़ा वैराग्य, श्रीराम भक्ति और धर्म रक्षा का ध्वजवाहक है, जो योग, ध्यान और सेवा भाव में अद्वितीय योगदान देता है।”

लेखक:
डॉ. सुरेश चव्हाणके
(चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल)

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