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श्री दिगंबर अनी अखाड़ा: एक हाथ में माला, एक हाथ में भाला (23)

महाकुंभ: श्री दिगंबर अनी अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय का एक प्रमुख अखाड़ा है, जो भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण और विष्णु उपासना की परंपराओं को आगे बढ़ाता है।

Dr. Suresh Chavhanke
  • Feb 4 2025 1:27PM

श्री दिगंबर अनी अखाड़ा: एक हाथ में माला, एक हाथ में भाला – वैष्णव योद्धाओं का केंद्र

महाकुंभ लेखमाला – लेख क्रमांक 23

प्रस्तावना: श्री दिगंबर अनी अखाड़ा – भक्ति और शौर्य का संगम

श्री दिगंबर अनी अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय का एक प्रमुख अखाड़ा है, जो भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण और विष्णु उपासना की परंपराओं को आगे बढ़ाता है।

• अन्य अखाड़ों की तुलना में यह अखाड़ा श्रीराम भक्ति, वैदिक अध्ययन और धर्म रक्षा पर विशेष बल देता है।
• इसकी स्थापना मुगल काल में वैष्णव संतों द्वारा सनातन धर्म की रक्षा के लिए की गई थी।
• यह अखाड़ा धार्मिक, आध्यात्मिक और शारीरिक साधना का केंद्र रहा है।
• यहाँ के संत संन्यास, तपस्या, वेदों के अध्ययन और शस्त्रविद्या में निपुण होते हैं।
• इन संतों का प्रमुख आदर्श है – “एक हाथ में माला, एक हाथ में भाला”, जो भक्ति और शौर्य का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

1. श्री दिगंबर अनी अखाड़े की स्थापना और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

1.1 अखाड़े की उत्पत्ति और उद्देश्य

• स्थापना वर्ष: प्राचीन वैष्णव संतों द्वारा।
• स्थान: भारत के प्रमुख वैष्णव तीर्थों में सक्रिय।

• उद्देश्य:

• सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार।
• वैष्णव भक्ति परंपरा को जीवंत बनाए रखना।
• धर्मरक्षा के लिए संतों को शस्त्र और शास्त्र दोनों में निपुण बनाना।
• योग, ध्यान और वेदांत के अध्ययन को बढ़ावा देना।

1.2 अन्य अखाड़ों से विशिष्टता
• अन्य अखाड़ों की तुलना में श्रीराम और विष्णु भक्ति पर अधिक बल देता है।
• इसमें संन्यास और गृहस्थ संत दोनों होते हैं, जो समाज में धार्मिक चेतना का प्रसार करते हैं।
• यह अखाड़ा केवल ध्यान और साधना तक सीमित नहीं, बल्कि धर्म रक्षा, सेवा और शिक्षा में भी योगदान देता है।
• अखाड़े के संन्यासी शौर्य और बल के लिए प्रसिद्ध हैं, और इसमें पहलवानी और युद्धकला का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।

2. साधना पद्धति और उपासना प्रणाली

2.1 वैष्णव भक्ति, योग और तपस्या
• श्री दिगंबर अनी अखाड़े के संत श्रीराम, श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की उपासना करते हैं।
• यहाँ वेद, उपनिषद, भगवद्गीता और रामायण का गहन अध्ययन किया जाता है।
• वैदिक अनुष्ठानों और संकीर्तन का नियमित आयोजन किया जाता है।

2.2 ध्यान, अनुशासन और समाज सेवा

1. नित्य पूजा और आराधना:

• अखाड़े में प्रतिदिन श्रीराम नाम संकीर्तन और विष्णु सहस्रनाम पाठ किया जाता है।

2. शस्त्र प्रशिक्षण और पहलवानी:

• संतों को आत्मरक्षा और धर्मरक्षा के लिए शस्त्रविद्या, तलवारबाज़ी, भाला चलाना और पहलवानी में भी प्रशिक्षित किया जाता है।

3. गुरु-शिष्य परंपरा और शिक्षा:

• अखाड़े में वेद, गीता और उपनिषद का अध्ययन किया जाता है, जिससे संत समाज को आध्यात्मिक शिक्षा दे सकें।

3. कुम्भ मेले में श्री दिगंबर अनी अखाड़े की भूमिका

3.1 अमृत स्नान और शोभायात्रा

• अमृत स्नान (शाही स्नान) के दौरान श्री दिगंबर अनी अखाड़ा अपनी वैष्णव परंपरा, शक्ति और धर्म रक्षा के सिद्धांतों का प्रदर्शन करता है।
• इसकी शोभायात्रा में संत, नागा संन्यासी, पहलवान और वैष्णव तपस्वी सम्मिलित होते हैं।
• यह अखाड़ा कुम्भ मेले में सनातन धर्म के वैष्णव मत की महानता और परंपरा का प्रचार करता है।

3.2 आध्यात्मिक शिविर और प्रवचन

• कुम्भ मेले में अखाड़ा वैदिक शिक्षा, ध्यान, योग और रामायण कथा पर विशेष प्रवचन आयोजित करता है।
• यहाँ वैष्णव भक्ति, धर्म रक्षा और समाज सेवा को बढ़ावा दिया जाता है।

4. श्री दिगंबर अनी अखाड़े के प्रमुख संत और उनका योगदान

4.1 ऐतिहासिक संत

1. महंत अवधूतानंद जी महाराज:

 • धर्म रक्षा और वैष्णव भक्ति के प्रचारक।
• श्रीराम नाम संकीर्तन की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले संत।

2. महंत रामानंदाचार्य जी महाराज:

• श्रीराम भक्ति और संत परंपरा के संवाहक।
• समाज में सनातन संस्कृति का प्रचार किया।

4.2 आधुनिक संत और उनका प्रभाव

1. आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कृष्ण दास महाराज:

• वर्तमान आचार्य महामंडलेश्वर हैं।
• वेदांत शिक्षा, धर्म रक्षा और समाज सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

2. महामंडलेश्वर स्वामी रामप्रसाद दास जी महाराज:

• योग, ध्यान और रामकथा के माध्यम से भक्ति जागरण कर रहे हैं।
• धर्मरक्षा और राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं।

5. अन्य अखाड़ों से भिन्नता

1. वैष्णव परंपरा पर विशेष ध्यान:

• यह अखाड़ा श्रीराम, श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की भक्ति पर केंद्रित है।

2. शास्त्र और शस्त्र का संतुलन:

• अन्य अखाड़ों की तुलना में यहाँ धार्मिक शिक्षा और आत्मरक्षा दोनों का प्रशिक्षण दिया जाता है।

3. संकीर्तन और भागवत कथा का प्रचार:

• इस अखाड़े में भजन, संकीर्तन और भागवत कथा का विशेष स्थान है।

4. समाज सुधार और सेवा:

• यह अखाड़ा धार्मिक शिक्षा, सेवा कार्य और समाज सुधार में भी सक्रिय भूमिका निभाता है।

6. श्री दिगंबर अनी अखाड़ा का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

श्री दिगंबर अनी अखाड़ा वैष्णव परंपरा और धर्म रक्षा का महान केंद्र है।

• यह अखाड़ा योग, ध्यान, भक्ति और धर्म रक्षा के सिद्धांतों को आगे बढ़ाता है।

• इसके संत और अनुयायी श्रीराम नाम संकीर्तन, वेदांत शिक्षा और समाज सेवा के माध्यम से सनातन धर्म की परंपराओं को मजबूत कर रहे हैं।

• यह अखाड़ा सनातन धर्म की वैदिक परंपराओं, भक्ति और राष्ट्र रक्षा के लिए समर्पित है।

मुख्य वाक्य:

“श्री दिगंबर अनी अखाड़ा – एक हाथ में माला, एक हाथ में भाला – वैष्णव भक्ति और धर्म रक्षा का ध्वजवाहक है, जो योग, ध्यान और सेवा भाव में अद्वितीय योगदान देता है।”

लेखक:
डॉ. सुरेश चव्हाणके
(चेयरमैन एवं मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज़ चैनल)

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