प्रदूषण नियंत्रण अथॉरिटी ने गुरुवार दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए कठोर नियम को 15 अक्टूबर से लागू करने को कहा है. यह अथॉरिटी सुप्रीम कोर्ट की देख रहने में काम कर रहा है अथॉरिटी द्वारा बनाए गए कठोर नियम graded response Action Plan ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का एक हिस्सा है. पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) अथॉरिटी ने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को निर्देश दिया है की आवश्यक और आपातकाल सेवाओं को छोड़कर डीजल जनरेटर को प्रतिबंधित किया जाए. यह प्रतिबंध राजधानी दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में लागू होगा. ईपीसीए प्रमुख भूरेलाल ने राज्यों को इससे संबंधित एक पत्र लिखा है. हाईवे और मेट्रो जैसे बड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी के पास अंडरटेकिंग देंगे कि वह धूल प्रबंधन के लिए किए गए प्रावधानों का पालन करेंगे.
अर्थव्यवस्था पर दबाव के कारण कुछ गतिविधियों को छूट
पॉलूशन वॉचडॉग ने कहा है कि कुछ आर्थिक गतिविधियों को इसमें छूट दी गई है क्योंकि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अगर कंस्ट्रक्शन वर्क और ट्रकों की आवाजाही रोकी जाती है तो कोरोना महामारी के कारण पहले से ही दबाव झेल रही अर्थव्यवस्था को और दबाव झेलना पड़ जाएगा. राज्यों के भेजे गए पत्र के मुताबिक प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुछ जरूरी चीजों को छूट दी गई है ताकि अर्थव्यवस्था पर और अधिक दबाव ना पड़े. ईपीसीए के मुताबिक कोरोना महामारी के समय स्वास्थ्य सबसे बड़ी चिंता साबित हुई है और प्रदूषण इस चिंता को और बढ़ा सकता है.
GRAP के प्रावधान सबसे पहले दिल्ली में 2017 में लागू
GRAP के तहत किए गए प्रावधान सबसे पहले 2017 में दिल्ली एनसीआर में लागू किया गया था. इसके प्रावधानों के तहत बस और मेट्रो की सेवाओं को बढ़ावा, पार्किंग फीस को बढ़ाना, वायु गुणवत्ता खराब होने की स्थिति में डीजल जनरेटर का उपयोग बंद करना है. इसके अलावा स्थिति अधिक गंभीर होने पर GRAP में ईट पत्थर को तोड़ने इत्यादि पर रोक लगा देता है. इसके अलावा आपातकाल की स्थिति में दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर रोक, कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज पर प्रतिबंध और ऑड-इवन सिस्टम लागू करने का प्रावधान है.