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कर्नाटक : बेटे को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अस्वस्थ येदियुरप्पा ?

कर्नाटक : बेटे को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अस्वस्थ येदियुरप्पा ?

Gaurav Mishra @gauravstvnews Delhi
  • Dec 27 2020 7:38PM

कर्नाटक : बेटे को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अस्वस्थ येदियुरप्पा ? दक्षिण के भाजपा शासित राज्य कर्नाटक में विपक्ष द्वारा मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा के बेटे को लेकर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। दक्षिण के भाजपा शासित राज्य कर्नाटक में विपक्ष द्वारा मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) के बेटे को लेकर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। विपक्ष का यह भी कहना है कि येदियुरप्पा गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं और सरकार का कामकाज अप्रत्यक्ष रूप से उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र येदियुरप्पा ही संभाल रहे हैं। येदियुरप्पा के बेटे भाजपा के राज्य उपाध्यक्ष भी हैं और उन्हें कर्नाटक की राजनीति में अपने पिता की वजह से इस समय सबसे प्रभावशाली व्यक्ति कहा जा रहा है। विपक्ष के नेता सिद्धरमैया ने पिछले दिनों ही कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोप लगाए थे, तब येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) ने इन्हें ‘‘आधारहीन’’ करार दिया था और कांग्रेस नेता को आरोपों को साबित करने की चुनौती दी। दूसरी ओर सिद्धरमैया ने येदियुरप्पा के बेटे, दामाद और पोते के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार और रिश्वत के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा की ‘‘चुप्पी’’ पर सवाल उठाए। यह मामला बेंगलुरू में 662 करोड़ रुपये की लागत से बने एक अपार्टमेंट के निर्माण से जुड़ा हुआ था। तो क्या तत्कालीन समय में कर्नाटक राज्य एक राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यदि वास्तव में कर्नाटक के मुख्यमंत्री, बीएस येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) (79), भारी अस्वस्थता से पीड़ित हैं और येदियुरप्पा के बेटे और भाजपा के राज्य उपाध्यक्ष, बीवाई विजयेंद्र येदियुरप्पा, कर्नाटक के अप्रत्यक्ष मुख्यमंत्री बन गए हैं, तो यह स्थति न तो लोकतांत्रिक है न जनहितकारी है। जैसा कि विपक्ष का आरोप है कि बीएस येदियुरप्पा केवल नाम के लिए राज्य के सीएम हैं और प्रदेश का मुख्यमंत्री कार्यालय उनके बेटे विजयेंद्र के निर्देश पर चल रहा है, यदि ऐसा है तो यह सर्वथा अनुचित कहा जाएगा।

 

क्या पार्टी पर भी भारी पड़ रहा परिवार ? विरोधियों की माने तो येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) अल्जाइमर अर्थात, स्मृति-हानि के लक्षणों को प्रदर्शित कर रहे हैं. नतीजतन, वह कई बार अपनी पार्टी के विधायकों और नेताओं को पहचानने में भी असमर्थ हो जाते हैं. बीएस येदियुरप्पा की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थितियों के कारण, उनके परिवार के सदस्यों द्वारा मुख्यमंत्री के संवैधानिक कार्यालय का दुरुपयोग किया जा रहा है। बीजेपी के नेता भी इन सभी मुद्दों से वाकिफ हैं, लेकिन येदियुरप्पा के कद और कर्नाटक में पार्टी बनाने के लिए दशकों तक किए गए उनके सराहनीय काम के कारण वे इसे बर्दाश्त कर रहे हैं। आरोपों के अनुसार हाल ही में सीएम ने पार्टी के परामर्श के बिना ही पचास से अधिक बोर्ड और निगमों के सदस्यों के रूप में अपने वफादारों को नियुक्त किया है। पार्टी अध्यक्ष भी इस कदम का विरोध करने में असमर्थ हैं। आरोपों के अनुसार अपने आप को विरोधियों के बीच घिरा देख कर येदुरप्पा ने एक नया पैंतरा आजमाना शुरू कर दिया है। येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) और उनके बेटे ने अपना ‘लिंगायत समुदाय’ कार्ड को खेलकर भाजपा को दबाव में कर रखा है। वोट बैंक की गणित के चलते भाजपा भी संभवतः उनके खिलाफ कदम उठाने से डर और बच रही है। हालांकि, यह बात भी सामने आ रही है कि उनके इस कार्यकाल में लिंगायत समुदाय भी बहुत खुश नहीं। लिंगायत का एक बड़ा उप-संप्रदाय, जिसे ‘पंचम्शाली’ कहा जाता है, येदियुरप्पा और उनके बेटे के रवैये के खिलाफ है। पंचम्शाली समुदाय के एक प्रभावशाली संत वचनानंद ने खुलकर सीएम के खिलाफ आवाज उठाई है।

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