असम बाढ़ की चपेट में है। पिछले दो दिनों में स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ था लेकिन खराब मौसम के साथ ऐसी संभावना है कि स्थिति और भी बिगड़ सकती है। वही आधिकारिक बुलेटिन में कहा गया है कि इस साल राज्य में बाढ़ और भूस्खलन में जान गंवाने वाले लोगों की कुल संख्या बढ़कर 102 हो गई है। 76 लोगों की मौत बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में हुई है जबकि 26 की मौत भूस्खलन में हुई है।
साथ ही बताया गया है कि बाढ़ से करीब 53 लाख 99 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। वही असम के करीब 30 जिलों में स्थिति काफी खराब है।
काजीरंगा नेशनल पार्क की बात करें तो वो सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में से एक है। जहां वन्यजीवों का बसेरा है। काजीरंगा में अब तक 96 वन्यजीवों की मौत हो चुकी है, जिसमें 8 एक सींग वाले गैंडे शामिल हैं, जो केवल असम में पाए जाते हैं।
बता दें कि ज्यादातर मौतें डूबने से हुई हैं लेकिन कई मामलों में वाहन टकराने की घटनाएं भी शामिल हैं। पिछले कुछ दिनों से यह देखा गया है कि गलियारों के माध्यम से जानवरों की आवाजाही के दौरान, वन कर्मी उन्हें एक सुरक्षित मार्ग देने की कोशिश कर रहे हैं।
काजीरंगा के बाढ़ के मैदानों से नागालैंड और पास के कार्बी आंगलोंग जिले की तलहटी में वन्यजीवों का प्रवास एक प्राकृतिक घटना है। वाहनों की अत्यधिक आवाजाही और क्षेत्रों में मनुष्यों के बसने ने वार्षिक प्रवास पैटर्न को काफी हद तक प्रभावित कर दिया है। कई लोगों का मानना है कि यह मनुष्य है जिसे अपनी सुविधा के अनुसार चीजों को बदलने के बजाय कुछ संयम और जंगल के प्रति सम्मान दिखाना होगा।
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वही असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने हाल ही में काजीरंगा नैशनल पार्क का दौरा किया था।
असम में मानव-पशु संघर्ष बहुत आम बात है। विशेष रूप से मानव-हाथी संघर्ष। ज्यादातर मनुष्य है जो मांस के लिए अवैध शिकार करने के लिए बाढ़ की स्थिति का लाभ उठाते हैं।