दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभाओं में चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद उत्तराखंड की जनता में भी तीसरे विकल्प की उत्सुकता दिखाई दे रही है तो क्या वाकई में आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में तीसरा विकल्प बनकर खड़ी हो जाएगी यह एक बड़ा सवाल है इन दिनों उत्तराखंड प्रदेश कार्यालय में आम आदमी पार्टी जोर शोर से अपना कुनबा बढ़ाने में लगी हुई है जाहिर है 2022 के चुनाव में आम आदमी पार्टी दो राष्ट्रीय दलों को कड़ी टक्कर देने का मन बना रही है वही आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में दस्तक के बाद भारतीय जनता पार्टी कहीं भी अपने लिए आम आदमी पार्टी को चुनौती नहीं मानती है शासकीय प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को नारों की पार्टी मानते हैं शासकीय प्रवक्ता उत्तराखंड मदन कौशिक के अनुसार आम आदमी पार्टी कहीं भी अभी भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौती नहीं है
वही हम बात करें कांग्रेस पार्टी की तो कांग्रेस की स्थिति बेशक मजबूत होती बशर्ते कि वहां आन्तरिक कलह और अहम का टकराव न होता । कांग्रेस में आज हरीश रावत भले ही एक हारे हुए नेता हैं, लेकिन कांग्रेस में आज भी उनसे बड़ा कद किसी और का नहीं है । परन्तु समस्या यह है कि आज उनके बोए बीज, उनकी रोपी पौधें ही उन्हें छांव देने में कन्नी काटने लगे हैं । ऐसे में कांग्रेस के भीतर का यह कलह केजरीवाल की आप पार्टी को कुछ सीटों में सम्मानजनक स्थिति में जरूर ला सकता है । लेकिन छप्पर फाड़ जीत की बात करना थोड़ी सी जल्दबाजी होगी । आगर आम आदमी पार्टी के लिए सीटों को जीतने की बात करें तो फिलहाल शुरुआती दौर में कुछ सीटों से आम आदमी पार्टी को संतुष्ट होना पड़ेगा
कांग्रेस आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में चुनाव लड़ने के फैसले को लेकर कहीं भी आम आदमी पार्टी को अपने लिए चुनौती नहीं मानती है कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष उत्तराखंड सूर्यकांत धस्माना ने कहा लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है आम आदमी पार्टी ही नहीं सभी दलों का उत्तराखंड में स्वागत है 20 वर्ष के दौरान उत्तराखंड में कांग्रेस ने उत्तराखंड में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं इसलिए कांग्रेस कहीं भी आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में चुनाव लड़ने को लेकर विचलित नहीं है और निश्चित ही 2022 में कांग्रेस पार्टी यहां सरकार बनाएगी
वहीं 24 वर्षों से अधिक समय से उत्तराखंड में पत्रकारिता कर चुके वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ शशि भूषण मैठाणी का मानना है कि उत्तराखंड में अभी आम आदमी पार्टी तीसरा विकल्प नहीं बन सकती इसका कारण उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति और आम आदमी पार्टी की उत्तराखंड में चुनाव लड़ने की घोषणा में लेटलतीफी है इसके साथ ही बिना संगठन के उत्तराखंड में चुनाव लेना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है
अगर अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी शुरुआती दौर में दिल्ली की तरह ही उत्तराखंड व हिमांचल में भी दस्तक दे जाती तो वह यहां हमेशा विकल्प के रूप मज़बूती खड़ी रहती । लेकिन लगता है कहीं आम आदमी पार्टी ने कुछ विलंब तो नहीं कर दिया क्योंकि चुनाव होने में अब डेढ़ वर्ष से भी कम समय है
अब डेढ़ साल का जो वक़्त है उसमें आम आदमी पार्टी को सबसे पहले संगठन का स्वरूप आम लोगों को दिखाना होगा ।
फिर जनता देखेगी कि आप संगठन में शामिल चेहरे कितने प्रभावी हैं । बाकी संगठन के पदों व राज्य की एक-एक विधानसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतारे जाने वाले संभावित प्रत्याशियों के चेहरे भी तो पार्टी के भाग्य का फैसला करेगी ।