बस एक बार कहा था - "तुम मुझे खून दो"... फिर निकल पड़े थे काफ़िले खून देने वालों और क्रूर अंग्रेजो के खून बहाने वालों के
तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हे आजादी दूंगा ,ये वो शब्द जिसने एकजुट कर दिया था सम्पूर्ण भारत को
भारत के प्रथम जननायक राष्ट्रवाद के प्रेरणास्रोत सुभाष चंद्र बोस की आज जयंती है, सुभाषचंद्र बोस को कुछ इतिहासकार देश के पहले प्रधानमंत्री की उपाधि देते है , सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजो के सभी शातिराना बंधक को तोड़कर उस अपरिहार्य काल में भी देश के नोजवानो उम्मीद की किरण दिखाई थी ,लेकिन उनके जीवन की आधी से अधिक अवधि मातृभूमि को गुलामी की जंजीरो से मुक्त कराने के लिए बोस ने अपनी आयु का तर्पण कर दिया, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' यह केवल एक नारा नहीं था।
उनके ये शब्द हर राष्ट्रवादी के मन में दुश्मनो के लिए में दिल में लगी आग के अंगार को और भी गति की प्रदान कर देता था ,उनके विचार राष्ट्र के उद्धार के लिए बुनी जाने वाली पराकाष्टा पर खरे उतरते थे, सुभाष चंद्र बोस की वीरता की गाथा भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी सुनाई देती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कथनी और करनी में गजब की समानता थी।
वे जो कहते थे, उसे करके भी दिखाते थे। इसी कारण नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कथनों से विश्व के बड़े दिग्गज भी घबराते थे।उनके हृदय में राष्ट्र के लिये मर मिटने की चाह थी,उनके कुछ नारे राष्ट्र के एक सूत्र में पिरोने के काम आते थे ,लेकिन उनके विचारो से कुछ क्रांति के महापुरोधा भी एक मत नहीं थे ,क्योकि सुभाषचंद्र बोस किसी भी हालत में देश को अंग्रेजो के हाथ से छुटाना चाहते थे, उनकी इस महान गाथा को सुदर्शन न्यूज़ परिवार नमन करता है,आपको बता दे की आज सुभाष चंद्र बोस की जयंती है ,जिससे केंद्र सरकार सहित सभी राष्ट्रवादी लोग पराक्रम दिवस के मना रहे है
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