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योगी ने पेश किया संवेदनशीलता का एक और उदाहरण.. आंध्र के आदिवासी बच्चों से मिलकर बच्चों की इच्छा करी पूरी..

आंध्र प्रदेश से भारत भ्रमण पर निकले आदिवासी बच्चों की हार्दिक इक्षा थी कि वह यूपी के सीएम से मिले.. आज योगी आदित्यनाथ ने इनसे मुलाकात कर उनकी यह तमन्ना पूरी की है

रजत के. मिश्र Twitter- rajatkmishra1
  • Apr 2 2021 11:10AM

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आज आंध्र प्रदेश से भारत भ्रमण पर निकले बच्चो के समूह की मुलाकात हुई। 6 फ़रवरी को आंध्र प्रदेश के 21 बच्चों का दल भारत भ्रमण पर निकला था। पिछले करीब एक हफ्ते से बच्चो का यह समूह उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भ्रमण कर रहा है।

इन बच्चो के उत्तर प्रदेश में होने की खबर जैसे ही मुख्यमंत्री को पता चली, उन्होंने व्यस्तता के बावजूद लखनऊ से बाहर होते हुए भी इन बच्चों के रहने खाने का इंतज़ाम करवाया। साथ ही इन बच्चों के लिए होली की मिठाई भी भिजवाई 

आन्ध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में टाइगर रिजर्व श्रीसेलम के अंदरूनी हिस्से में बसा एक छोटा सा चेंचू आदिवासियों का गाँव है पलूतला। यहाँ से संरक्षक कलिदासु की देखरेख में 21 बच्चों का एक दल साइकिल से हिमालय को छूने निकल पड़ा। इनमें सबसे छोटा बच्चा 8 साल का और सबसे बड़ा 18 वर्ष का है। इनमें 6 लडकियां भी शामिल हैं।

150 दिन के इस सफ़र में ये बच्चे 15 प्रदेश 75 जिले और 9000 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय करेंगे।श्रीसेलम टाइगर रिजर्व से निकल पहली बार ये बच्चे चकाचौंध भरी दुनिया देखेंगे। अगर देखा जाय तो ये बच्चे शेरों से कम नहीं है। 6 फरवरी को इन्होने अपनी यात्रा शुरू की है। होली के पहले  पहले ये युवा शेर अयोध्या में राम लला के दर्शन करने के बाद लखनऊ में थे।

इन बच्चों के मेंटर और संरक्षक कालिदासु और उनकी टीम  अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण से खासी अभिभूत है। कहा जाता है कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रति इन आदिवासी बच्चों के मन में अपार श्रद्धा है। दल के बच्चों की प्रबल इच्छा सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने की थी। इनके संरक्षक कलिदासु एक शिक्षक हैं। उनकी तमन्ना है की चेंचू आदिवासी बच्चे भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ें। बच्चों की ऊर्जा और उनके चेहरे पर चमक ही कालिदासु को प्रेरणा देती है

आदिवासी बच्चों के बारे में पूछने पर उनके अगुवा कालिदासो  बताते हैं कि सनातन धर्म और शैव परंपरा का एक संत देश की इतने ऊंचे पद पर बैठा है। मूल आदिवासियों के लिए यह गर्व का विषय है।क्योंकि हम आदिवासियों के लिए "नाथ सम्प्रदाय" पूज्यनीय है।

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