गोरखपुर के कुसुम्ही जंगल में बसे तिनकोनिया नम्बर तीन के रहने वाले ग्रामीण आज बेेहद खुश हैं, क्योंकि इनके बाबा का आगमन इनके गाँव मे फिर से दीवाली के दिन होने जा रहा है. 3 साल पहले तक यह गाँव भी वनटांगिया गाँव के नाम से जाना जाता था पर साल 2017 के बाद से यह गाँव भी राजस्व ग्राम घोषित हो गया।अब 3 सालों के अंदर गाँव के घरों के पुराने छप्पर अब पक्के लिंटर वाले मकान में बदलने लगे हैं और गांव में सड़क, बिजली, पानी सब कुछ इनके योगी बाबा की बदौलत पहुँच चुका है। सीएम योगी आज भी इनके लिये गोरखनाथ मंदिर वाले बाबा हैं और यहाँ के बच्चों के लिए "टॉफी वाले बाबा" हैं, जिन्होने इनको आज वास्तविक आजादी का एहसास करवाया है।
वनटांगिया समुदाय के उत्थान के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक लंबी लड़ाई लड़ी। बताया जाता है कि मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर के सांसद हुआ करते थे। तब एक बार उन्होंने रस्ते में इन वनटांगिया समुदाय के लोगों को नंगे पैर कई किलोमीटर पैदल जाते हुए देखा , तो उन्होंने रुक कर इनका हाल चाल जाना। उस समय योगी आदित्यनाथ को इन लोगों ने बताया कि आज़ादी मिलने बाद भी ये लोग व्यवस्थाओं के आगे गुलामी में ही जी रहे हैं।
इन लोगों ने गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि इन्हे ना तो आज़ाद भारत में वोटिंग का अधिकार है , ना ही इनके पास नागरिकता है। ये लोग समाज की मुख्यधारा से आज तक जुड़े ही नहीं। ना जाने कितनी सरकारें आईं और चली गयीं , लेकिन वनटांगिया समुदाय उपेक्षित और अलग थलग ही पड़ा रहा , किसी ने उनके उद्धार की सुध नहीं ली।
2017 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहला प्रभावी निर्णय लेते हुए इनके गांवों को राजस्व गांव घोषित किया गया। हालांकि वनटांगियों को वोट देने का अधिकार 2015 में मिला और इनके वनग्रामों के आसपास के राजस्व गांवो से इनको जोडकर इनको वोटर बना दिया गया पर सिवा पंचायत चुनाव के यह कहीं पर वोट नही दे पाए, लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से इनके दिन पलट गये। और साल 2017 की दीवाली से पहले योगीजी ने इनके गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलवाकर यहां पर अपनी दीवाली मनाने का निर्णय लिया।