ओलिंपिक में देश की सम्प्रभुता को, महिलाओं ने लगाए चार चाँद
महिलाये ओलंपिक्स में बढ़ा रही हैं, देश का गौरव, पिछले दो ओलंपिक्स से महिलाओं ने पुरुषों को दी मैडल तालिका में टक्कर
अगर किसी प्रतियोगिता को खेलों के कुम्भ का पुरुस्कार दिया जाये तो, ओलंपिक्स का इसमें शीर्ष पर आना कोई अचम्भे की बात नहीं होगी। बता दें कि वर्तमान समय में ओलंपिक्स का यह महाखेल जापान की राजधानी टोक्यो शहर में दुनिया भर की खिलाडियों के द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है.
लेकिन अब सवाल ये उठता है कि इस महानियोजन में भारत की परिस्तिथि क्या है, भारत का परचम आखिर यहाँ कितना बुलंद है, और किन-किन खिलाडियों ने भारत के इस प्यारे तिरंगे झंडे को पूरे विश्व के सामने शान से लहराया है, आपको बता दें कि भारत जैसे इस पुरुष प्रधान देश में, जहाँ पुरुषों को स्त्रियों से कई मायनो में कुछ ज्यादा अधिकार और हक़ दिए गए है, ऐसी विषम परिस्तिथियों में भी देश की बेटियां देश का सर ऊँचा रखने में तनिक भी कसर नहीं छोड़ रही, पिछले रिओ ओलिंपिक में तो ऐसी कठिन स्तिथियाँ रहीं कि 124 खिलाडियों में से देश की लाज़ सिर्फ महिलाओं ने ही बचाई, मशहूर बेडिमशन स्टार P. V सिंधु ने रिओ के महिला सिंगल इवेंट में सिल्वर मेडल हासिल किया था. पीवी सिंधु से इस बार भी देश को आस है. डेनमार्क की मिया ब्लिचफेल्ट को पिछले मुकाबले में हराकर पीवी सिंधु क्वॉर्टर फाइनल में अपनी जगह बना चुकी हैं. वहीँ फ्रीस्टाइल कुश्ती में साक्षी मलिक ने एक ब्रोंज मैडल जीता था. बता दें कि इससे पहले 2012 में हुए लंदन ओलंपिक में भारत ने 6 मेडल जीते थे. इस बार भी लिस्ट में दो लड़कियां शामिल थीं. बैडमिंटन में साइना नेहवाल ने ब्रॉन्ज और बॉक्सिंग में मैरीकॉम ने भी सिल्वर मेडल जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया था.
वर्तमान में चल रहे ओलिंपिक में भी, जब हिंदुस्तान के सारे पांसे नाकाम रहे थे, तो सेखोम मीराबाई चानू ने ही देश के हौसले को बुलंद करते हुए, राष्ट्र के खाते में एक सिल्वर पदक दर्ज करवाया, और अगर हम और पदक की उम्मीद भी करे तो इनमे भी हमे प्रबल दावेदार दूर दूर तक महिलाएं ही दिखाई पड़ती हैं. खैरमकदम इनसभी उपलब्धियों के अलावे देश में अभी तक काफी तर्जुमान पर महिलाओं को दबाया एवं शोषित किया जाता है. वैसे तो हम प्यारे देश को भारत नहीं बल्कि भारत माँ कहके पुकारते हैं, लेकिन जिस दिन हम सही मायनो में देश की हर एक नारी को माँ या सरल शब्दों में कहे तो बराबरी का दर्जा देने लगे बिलकुल तभी से हमारा देश एक मुक्कमल प्रगति के रिश्ते में प्रसस्थ हो जायेगा, जिसके वर्चस्व को रोकना दुश्मन देशों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जायेगा।
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