शीतकालीन सत्र के शुरूआती दिन से ही विपक्षों का हंगामा किसी-न-किसी मुद्दे को लेकर जारी है। वही हंगामे करने के लिए बहाने ढूंढने वाले विपक्षियों को एक मुद्दा मिल गया और वो है सांसदों का निलंबन। बता दें शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही कुछ सांसदों ने कार्यवाही के दौरान बदसलूकी की थी जिसके कारण उन्हें शीतकालीन सत्र चलने तक निलंबित कर दिया गया था जिसको लेकर विपक्षी दल हर रोज कार्यवाही के समय हंगामे कर कार्यवाही में बाधा डाल रही है जिसके चलते कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ रहा है। बता दें प्रदर्शन में आज राहुल गाँधी भी शामिल हुए है। इसी बीच आज राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू प्रदर्शन कर रहे नेताओं को जमकर फटकार लगाई है।
सांसदों के निलंबन को अलोकतांत्रिक बताने और माफी से इनकार के विपक्ष के रवैये पर राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने दुख जताया है। विपक्ष के रवैये पर सवाल हुए राज्यसभा के चेयरमैन ने नेहरू काल से अब तक हुए सांसदों के निलंबन के मामले की याद दिलाते हुए सवाल पूछा है कि क्या अब तक की सभी सरकारें अलोकतांत्रिक थीं। उन्होंने सदन के दोनों पक्षों सत्ता और विपक्ष से अपील की है कि वे आगे बढ़ें और बातचीत के साथ मामले का हल करें।
नायडू ने पूछा कि सांसदों का यह निलंबन पहली बार नहीं हुआ है। इसकी शुरुआत 1962 में हुई थी और तब से 2010 तक 11 बार ऐसा किया जा चुका है। इस तरह के प्रस्ताव लाने वालीं क्या सभी सरकारें अलोकतांत्रिक थीं? यदि ऐसा ही है तो फिर कई बार ऐसा क्यों किया गया।
वेंकैया नायडू ने सदन के नाम लिखे पत्र में कहा कि सदन की कार्यवाही को लेकर तय नियमों के मुताबिक यह ऐक्शन लिया गया है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने भी कहा कि यदि संबंधित सदस्य माफी मांग लेते हैं तो निलंबन वापस ले लिया जाएगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि विपक्ष के नेता सांसदों की हरकतों को अलोकतांत्रिक कहने की बजाय उन पर किए गए ऐक्शन पर ही सवाल उठा रहे हैं। लेकिन एक बार भी उन्होंने इस मुद्दे पर बात नहीं की है कि आखिर यह निलंबन की कार्रवाई क्यों हुई है। दरअसल मॉनसून सत्र में जो हुआ, वह सदन की गरिमा को खत्म करने वाला था। वह ऐसी हरकत थी कि उसका दोबारा जिक्र भी नहीं किया जा सकता है।