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Uttarkashi tunnel collapse: क्या 41 मजदूरों की जिंदगी बचा पाएगा रोबोट… पढ़ें पूरी खबर

41 जिंदगियों को आज टनल में फंसे 9वां दिन हो गया है। उन्हें बचाने के लिए राज्य और कंद्र सरकार की तरफ से जीड़-तोड़ दम लगाया जा रहा है। लेकिन अभी तक उन्हें बाहर नहीं निकाल पाए है।

Himanshi Rajput
  • Nov 20 2023 12:34PM

41 जिंदगियों को आज टनल में फंसे 9वां दिन हो गया है। उन्हें बचाने के लिए राज्य और कंद्र सरकार की तरफ से जीड़-तोड़ दम लगाया जा रहा है। लेकिन अभी तक उन्हें बाहर नहीं निकाल पाए है। जिसके चलते अब उन 41 जिंदगियों को बचाने रोबोट सुरंग के अंदर जाएगा। जानकारी मिली है कि यह रोबोट सुरंग के अंदर आए मलबे के ऊपर बची थोड़ी सी जगह से दूसरी तरफ जाएगा। इस रोबोट के जरिए दूसरी तरफ पाइप डालने समेत अन्य संभावनाएं तलाशी जाएंगी। जानकारी सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत कुमार सिन्हा ने दी।

12 नवंबर को धसी थी टनल

 बता दें कि 12 नवंबर को यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन के बाद से 41 मजदूरों का जीवन संकट में है। वर्तमान में मजदूरों को बचाने के लिए पांच प्लान पर केंद्र व राज्य की करीब छह एजेंसियां काम कर रही हैं। जिसमें सिलक्यारा सुरंग के मुहाने से ऑगर मशीन से ड्रिलिंग, बड़कोट छोर से ड्रिलिंग, सुरंग के ऊपर और दाएं व बाएं तरफ से ड्रिलिंग की तैयारी हो चुकी है।

 छठे प्लान की है तैयारी

 सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए अस्थायी सड़क का निर्माण भी किया जा रहा है। लेकिन, अब इन पांच प्लान के साथ छठा प्लान भी तैयार किया जा रहा है। एक छोटा सा रोबोट ही जा सकता है। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि सुरंग के अंदर भूस्खलन के कारण जो मलबा आया है। उसके और सुरंग की ऊपरी छत के बीच थोड़ी जगह है। जिससे एक रोबोट को भेजकर देखा जाएगा कि दूसकी तरफ कितनी जगह है। ताकि दूसरी तरफ पाइप डाला जा सके। इस पाइप का इस्तेमाल भी अंदर फंसे लोगों का जीवन बचाने में किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि वह जगह बेहद संकरी होने से वहां कोई छोटा रोबोट ही जा सकता है।

 रेस्क्यू में लग सकते हैं 30 से 40 घंटे

यदि भारत सरकार या किसी निजी एजेंसी से ऐसा रोबोट उपलब्ध होगा तो अनुरोध किया जाएगा। रेस्क्यू में 30 से 40 घंटे लग सकते हैं। आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. सिन्हा ने कहा कि उन्हें बचाने के लिए दिन-रात रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ा। मजदूर सुरंग में फंसे हुए थे। इससे पहले यदि सब कुछ ठीक रहा और ड्रिल से ड्रिलिंग करते समय कोई बाधा नहीं आई तो बचाव अभियान में 30 से 40 घंटे लग सकते हैं। बड़कोट की तरफ दो से ढाई मीटर व्यास वाली सुरंग बनाई जाएगी। निर्माणाधीन सिल्कयारा से पोलगांव सुरंग 4.5 किमी लंबी है। 

 टनल के दायीं और बायीं बनेगी सुरंगें

 बड़कोट छोर से अभी भी करीब 400 मीटर सुरंग खोदने की जरूरत है। अंदर फंसे लोगों को निकालने के लिए बारकोट एंड पर भी खुदाई शुरू हो गई है। लेकिन सिरे से पूरी खुदाई करने के बजाय 2-2.5 मीटर व्यास वाली सुरंग ही तैयार की जाती है। सिल्क याला टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए टनल के दायीं और बायीं ओर सुरंगें बनाई जा रही हैं. दोनों जल निकासी सुरंगें भूस्खलन के मलबे से परे स्थित हैं। ताकि अंदर फंसे मजदूर बाहर निकल सकें.


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