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आखिर कौन है हमें और हमारे अपनों को मौत के मुंह तक ले जाने बाला????

एक जानने बाले की मौत की खबर के असर से उबर भी नहीं पाते कि दूसरी खबर तैयार खडी होती है।निश्चित ही ये परिस्थितियां किसी नारकीय यातना से कम नहीं हैं। लेकिन इस सब के बाबजूद हम हैं कि सुधरने और सम्भलने का नाम ही नहीं ले रहे।

क्षितिज दीक्षित
  • May 15 2021 11:04AM
कोरोना जैसा भयावह संक्रमण अपना विकराल रूप दिखा रहा है। जगह जगह हम संक्रमित लोगों और उनके परिजनों की लाचारी और हताशा को देख सकते हैं । एक जानने बाले की मौत की खबर के असर से उबर भी नहीं पाते कि दूसरी खबर तैयार खडी होती है।निश्चित ही ये परिस्थितियां किसी नारकीय यातना से कम नहीं हैं। लेकिन इस सब के बाबजूद हम हैं कि सुधरने और सम्भलने का नाम ही नहीं ले रहे। आज भी हम कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए संवेदनशील नहीं हैं । सभी हालात सामने होते हुए भी हम कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे कोविड गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाने में। प्रशासन जैसे पंगु बनकर रह गया है।कोई कुछ करना ही नहीं चाहता। उत्तरप्रदेश में लॉक डाउन है सुबह 11 बजे तक आवश्यक वस्तुओं से जुड़ी दुकाने खोलने की छूट भी है ताकि लोगों को इस लॉक डाउन में आवश्यक वस्तुओं की कमी से न जूझना पड़े। लेकिन ये सब कदम कारगर तो तभी होंगे न जब हम इनका सख्ती से पालन करेंगे या प्रशासन इनका पालन कराने में सख्ती बरतेगा। अन्यथा क्या फायदा इस लॉक डाउन का या कोविड से लड़ने की अन्य तैयारियों का?? उत्तरप्रदेश के जनपद इटावा के कुछ कस्बों बसरेहर,बकेबर,बैदपुरा आदि में लॉक डाउन की स्थितियों का जब जायजा लिया गया तो स्थितियां डराने वाली थीं। 11 बजे के बाद भी आप इन कस्बों में भारी भीड़ देख सकते हैं।कोविड गाइडलाइंस की खुलेआम धज्जियां उड़ाते लोग देख सकते हैं।कुटिल मुस्कान के साथ प्रशासन के अधिकारियों और पुलिस की संवेदनहीनता देख सकते हैं। लेकिन आप जो नहीं देख पा रहे होंगे वो है आपके और आपके परिजनों की तरफ बढ़ती मौत...... पुलिस की सख्ती का आलम ये कि आप 1 बजे उन्हें सूचना दो कि आपके नगर में कोविड गाइडलाइंस की बखिया उधेड़ी जा रही है तो तुरंत आनन फानन में ऐसी एक्टिंग करेंगे कि बॉलीवुड के उच्चस्तरीय कलाकार भी शर्म से पानी पानी हो जाएं और उनकी एक्टिंग आपको ये यकीन दिला देगी कि उन्हें बाहर की परिस्थितियों के बारे में जानकारी ही नहीं रही होगी वर्ना वो संवेदनशील और जागरूक तो बहुत हैं। तुरंत चार पुलिस कर्मी लाठियां फटकारते बाजार में निकलेंगे और बाजार बंद करवा देंगे ।आप सन्तुष्ट और पुलिस निश्चिंत। लेकिन सवाल ये है कि पुलिस थाने को अपने ही कस्बे की परिस्थितियों की जानकारी क्यों नहीं है??? क्यों नहीं थानाध्यक्ष स्वंय 11 बजे मार्केट में निकलकर कोरोना गाइडलाइंस और लॉक डाउन के नियमों पर सख्ती बरतते??? 1 बजे लाठीचार्ज या दिखावटी लाठीचार्ज के बाद भी 2 बजे दोबारा बाजार भीड़ से भरा कैसे दिखता है??? अगर हमें इस भयावह बीमारी को हराना है तो सख्ती से हमें नियमों का पालन करना ही होगा। और अगर नियमों का पालन सख्ती से कराना है तो पुलिस के आला अधिकारियों को सख्ती के साथ ही लोकल पुलिस थाने की जवाबदेही तय करनी होगी। किसी के थाना क्षेत्र में यदि कोविड के नियमों का उलंघन हो सबसे पहले बाजार उन दुकानदारों पर और जनता पर कार्यवाही हो जो नियमों को तोड़ें लेकिन साथ ही साथ उस पुलिस थाने के जिम्मेदारों पर भी सख्त कार्यवाही हो जो इन नियमों का पालन कराने में असफल पाए जाएं।

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