ऐसी बयानबाजी मोहन भारत में देखने को मिल जाया करती थी और इसी को शुद्ध धर्मनिरपेक्षता का नाम भारत के तथाकथित राजनेताओं ने दे रखा था। कोई मस्जिद को बचाने के लिए कारसेवकों के नरसंहार को अपनी उपलब्धि बताया करता था तो कोई तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाओं के समर्थन में खड़ा होकर खुद को मुस्लिम वोटों का हकदार बताता था। हालात यहां तक बने थे कि खुद प्रधानमंत्री सबसे बड़े मंच से यह कहता था कि भारत के संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार भारत के मुसलमानों का ही है। अचानक सत्ता बदली हो हालात बदले पर वोट बैंक कि वह राजनीति जोकि तो जिंदा रखी गई। दिल्ली के चुनाव में भी एक ऑडियो बहुत वायरल हुआ था जिसमें मुसलमानों का वोट हर हाल में खुद को मिलने की बात कही गई थी। अब वही हालात ठीक वैसी ही परिस्थितियां महाशक्ति अमेरिका में देखने को मिल रही हैं जहां मुसलमानों को ललकारा जा रहा है अपने साथ आने और डोनाल्ड ट्रंप को हराने के लिए।
अमेरिका की कुल राजनीति दो हिस्सों में बैठी हुई है जिसमें पहला है डेमोक्रेटिक और दूसरा है रिपब्लिकन। प्रचंड रूप से जीत कर आए डोनाल्ड ट्रंप नेखुलकर दुनिया को पहली बार इस्लामिक आतंकवाद बहना सिखाया है और यह बाद अमेरिका के ही कई वामपंथी तत्वों को रास नहीं आ रही है। इसी बीच अमेरिका ने ईरान के सबसे बड़े सैन्य मुखिया कासिम सुलेमानी को मार गिराया जिसके बाद दुनिया भर के मुसलमानों में डोनाल्ड ट्रंप को लेकर काफी रोष व्याप्त है। उसी रोज को भुनाने के लिए अमेरिका की राजनीति में भी हलचल मचनी शुरू हो गई है।
विदित हो कि मिल रही जानकारी के अनुसार अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप को हराने के लिए अमेरिका के मुस्लिमों से साथ मांगा है। बाइडेन ने ट्रंप प्रशासन द्वारा मुख्य रूप से कई मुस्लिम देशों के यात्रियों पर प्रतिबंध के फैसले को ‘घृणित’ बताते हुए इसे पलटने की प्रतिज्ञा को दोहराया। उन्होने कहा, ‘‘मुस्लिम अमेरिकियों की बातें हमारे समुदाय और हमारे देश के लिए महत्व रखती है। हम सभी जानते हैं कि आपकी आवाज को हमेशा पहचान नहीं दी गई और न ही उसे प्रतिनिधित्व दिया गया।’ राष्ट्रपति चुनाव से पहले मुस्लिम मतदाताओं को लामबंद करने के लिए आयोजित एक ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में अपील करते हुए कहा, ‘‘मैं आपका वोट सिर्फ इसलिए नहीं हासिल करना चाहता हूं कि वह (ट्रम्प) राष्ट्रपति बनने के लायक नहीं हैं, बल्कि मैं आपके साथ मिलकर काम करना चाहता हूं और यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि आपकी आवाज निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल हो सके, क्योंकि हम देश के पुनर्निर्माण के लिए काम कर रहे हैं।’’