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वो फिरोज़ आखिर है कौन ? पुलिस वाला, बकरों का कारोबारी, नेता, झूठी शिकायतकर्ता या कुछ और ही ?

जितने रंग इस बीच मे फिरोज़ ने दिखा दिए वो किसी नेता को भी पछाड़ गए.

Rahul Pandey
  • Jul 26 2020 8:30PM
बस कुछ समय पहले की बात है जब दिल्ली पुलिस का एक कॉन्स्टेबल जमातीयों को बॉर्डर पार कराते उत्तर प्रदेश पुलिस की सतर्कता के चलते पकड़ा गया था। उस समय भी उसने सबसे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों पर केंद्रीय राजधानी दिल्ली की पुलिस का स्टाफ होने का रौब जमाया था और जब अपने रोड में वह सफल नहीं हुआ तब उसने विक्टिम कार्ड खेलने का प्रयास किया था। इस बार भी लगभग उसी से मिलती-जुलती घटना सामने आई है पर इस बार मामला जमाती यों को लेकर नहीं बल्कि बकरों को लेकर है..

इस बार कॉन्स्टेबल का नाम है फिरोज जो कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद के मुरादनगर थाना क्षेत्र का रहने वाला है। यह बकरों का कारोबारी कैसे बन गया फिलहाल यह किसी की समझ के बाहर है क्योकि एक साथ आधा दर्जन बकरे निश्चित रूप से व्यक्तिगत प्रयोग के बजाय व्यवसायिक प्रयोग की तरफ इशारा कर रहे हैं जिस को दबाने के लिए उसने ना सिर्फ कुछ तथाकथित पोर्टलो का सहारा लिया है बल्कि कभी वकील तो कभी पुलिस के नाम पर न्यायोचित कार्यवाही करने वाले अधिकारियों के पीछे हाथ धोकर पड़ा हुआ है। यहां सराहना करनी होगी उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों की जो तमाम आरोप और प्रत्यारोप ओं के बाद भी चुपचाप नियम कानून और उच्चाधिकारियों पर पूरा विश्वास करके अपनी ड्यूटी को दे रहे हैं।

यह मामला है उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के सीमांत क्षेत्र दनकौर का जहां पर दिल्ली से कोरोना का संक्रमण नोएडा में ना फैले उसके चलते सब इंस्पेक्टर यादव अपने सिपाहियों के साथ पूरी मुस्तैदी से जमे हुए। अचानक ही आगे आगे इस गाड़ी में आधा दर्जन के करीब बकरे जा रहे थे जिन्हें जांच के लिए रोका गया। बकरों से भरी गाड़ी रुकने के साथ की एक दूसरी गाड़ी जो कि किसी अन्य व्यक्ति के नाम रजिस्टर्ड उसमें से दिल्ली पुलिस का एक सिपाही सादी वर्दी में उतरता है और खुद को फिरोज नाम से संबोधित करते हुए अपनी ऊंची पहुंच बताते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के दनकौर थाने के स्टाफ को प्रभाव में लेने का प्रयास करता है। थाने के स्टाफ किसी भी हाल में वाहन के पेपरों की जांच हुआ उसमें बैठे व्यक्तियों की सत्यता जांच ना चाहते थे परंतु दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल फिरोज को इसमें से कुछ भी बताना या दिखाना अपनी शान के खिलाफ लग रहा था ।।

फिलहाल दनकौर पुलिस ने मात्र चालान की कार्यवाही की ओर वाहनों की जांच की। इसके बाद दिल्ली पुलिस का कॉन्स्टेबल फिरोज अपने थाने मुरादनगर जाकर एक नया हंगामा खड़ा करता है और दनकौर थाने के पुलिसकर्मियों के विरुद्ध प्रार्थना पत्र देता है जिसमें वह अपने साथ मारपीट व लूट की भी बात कहता है। फिरोज इसी के साथ अपने तमाम जान पहचान के लोगों से दनकौर पुलिस के स्टाफ को दबाव व प्रभाव में लेने का प्रयास करता है और अनावश्यक रूप से निश्चित कार्य कर रही पुलिस के काम में अधिकतम अड़ंगा लगाने का प्रयास करता है। इतना ही नहीं इस मामले में हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलने का भी पूरा प्रयास किया जाता है।

इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस के थाना मुरादनगर से लेकर के दनकौर थाना और नोएडा पुलिस के उच्चाधिकारियों ने जो सक्रियता दिखाई वह सराहनीय है। उन्होंने मामले को जमीनी रूप से जाना और समझा साथ ही इसकी जांच भी कराई जिसमें फिरोज के दावों में पूरी तरीके से असत्यता निकली। परंतु हैरानी की बात यह है कि दिल्ली पुलिस ने अब तक अपने इस प्रकार के स्टाफ फिरोज के विरुद्ध किसी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लिया। दिल्ली में गिरती कानून व्यवस्था के बीच फिरोज जैसे स्टाफ अनदेखा करना कहीं दिल्ली पुलिस के लिए आने वाले समय में भारी ना पड़ जाए।

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