8 जुलाई- कारगिल युद्ध की “टाइगर हिल” विजय वर्षगांठ.. कई बलिदान के बाद यहां आज लहराया था तिरंगा
भारत के वीरों का बलिदान की गौरवशाली गाथा है टाइगर हिल जीत.
कुछ लोगों की रस्सी तक संभाल कर रखने और उसको प्रचारित करने वाले देश में वो दिन ना जाने क्यों विस्मृत कर दिया जाता है जिस दिन के लिए कई जवानियाँ बलिवेदी पर चढ़ गयी और अपनी खोयी भूमि और अपना खोया सम्मान पाने के लिए रक्त की धार से कश्मीर को सींच दिया गया हो .. ऐसा ही एक गौरवपूर्ण दिन है आज अर्थात 8 जुलाई को जिस दिन हमारी फौजों ने कारगिल युद्ध की सबसे बड़ी विजय टाइगर हिल को जीत कर वापस भारत की झोली में डाल दिया था ..
1999 में हुए पाकिस्तानी सेना की पहली पंक्ति जिसे पाकिस्तानी फ़ौज कहते हैं और पाकिस्तानी सेना की दूसरी पंक्ति जिसे आतंकी कहते हैं से सीधे और आमने सामने किये गए इस महायुद्ध में भारत माता का मान , सम्मान बचा कर हिंदुस्तान का स्वाभिमान बढ़ाने वाले उस सभी वीरों को आज टाइगर हिल विजय दिवस के दिन सुदर्शन न्यूज बारम्बार नमन , वंदन और अभिनन्दन करता है और साथ ही अपने ही लोगों से घायल हो रहे उसी कश्मीर को भारत में एक नियम व् एक सिद्धांत के तहत तिरंगे के नीचे लाने के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करने का संकल्प भी लेता है ..
– डिग्री तक नीचे गिर जाने वाले तापमान में 2,200 मीटर लम्बे और 1,000 मीटर चौड़े क्षेत्र में फैले टाइगर हिल पर उन्ही जवानो ने अपनी बंदूकों के बारूद से गर्मी पैदा कर के उसी गर्मी में पकिस्तानों को भस्म कर दिया था .. हमारी फ़ौज की तमाम गौरव गाथाओं में से एक गौरव गाथा वो भी है.. पिछले 1971 के युद्ध में बुरी तरह से पिटने के बाद सत्ता में आयी निश्चिंतता के कारण ये दुस्साहस किया गया था और सत्ता की गलती को सेना ने अपने लहू से साफ़ किया …लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के बलिदान से शुरू हुए इस महायुद्ध में कैप्टन मनोज पांडेय , कैप्टन विक्रम बत्रा जैसे तमाम बलिदानियों ने अपना बलिदान दिया .. उन सभी ज्ञात और अज्ञात वीरों को हमारा बारम्बार नमन वंदन और अभिनन्दन ..
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