योगी आदित्यनाथ सरकार ने 'यूपी स्टार्टअप पॉलिसी 2020' को कैबिनेट में मंजूरी दे दी है। इसके तहत सरकार कृषि, स्वास्थ्य, ऊर्जा, शिक्षा, टूरिज्म और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में काम करने वाली छोटी यूनिट को प्रमोट करेगी। सरकार एक इको सिस्टम बनाकर कम से कम 10 हज़ार स्टार्टअप को प्रमोट करना चाहती है। स्टार्टअप पॉलिसी का लक्ष्य लक्ष्य भारत सरकार द्वारा संचालित राज्यों की स्टार्टअप रैकिंग में प्रदेश को टॉप 3 में स्थान दिलाना है। कैबिनेट की बैठक के बाद प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि स्टार्टअप से डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिलेगा, जिनमें 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और एक लाख लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिल सकेगा।
यूपी बने सबसे बड़ा इनक्यूबेटर-
योगी सरकार लखनऊ को प्रदेश को राज्य का सबसे बड़ा इनक्यूबेटर बनाना चाहती है। योजना के तहत अब सरकार हर जिले में कम से कम एक इनक्यूबेटर और पूरे प्रदेश में 100 इनक्यूबेटर स्थापित करेगी। इन्क्यूबेटर्स को सब्सिडी के साथ संचालन के लिए आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई जाएगी। खासतौर पर पूर्वांचल और बुंदेलखंड क्षेत्र में स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन दिया जाएगा।कैबिनेट की बैठक में उतर प्रदेश स्टार्ट-अप नीति -2020 को मंजूरी दी गई। सरकारी खरीद में स्टार्ट-अप को वरीयता दी जाएगी। भरण-पोषण भता, पेटेंट फाइल करने की लागत की प्रतिपूर्ति की जाएगी और स्टार्ट अप फंड से उन्हें मदद दिलाई जाएगी।
यूपी में अभी इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एंड स्टार्टअप पॉलिसी 2017 लागू थी। केंद्र सरकार के औद्योगिक संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग के पास 18,000 स्टार्टअप रजिस्टर्ड है। यूपी में इस समय स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए कोई समग्र नीति नहीं है, इसलिए राज्य में एक हॉलिस्टिक पॉलिसी बनाने की कवायद की गई। यूपी में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक एंजल नेटवर्क भी बनाया गया है। स्टार्टअप के इनक्यूबेशन और प्रमोशन के लिए ऑनलाइन पोर्टल भी बनाया गया है, जिससे स्टार्टअप को मदद मिल सके। स्टार्ट-अप नीति से प्रदेश के युवा रोजगार आकांक्षी की जगह रोजगार प्रदाता बनेंगे।