उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से एन पहले दो मंत्रियों सहित 7 विधायकों के भाजपा से इस्तीफा देने के बाद अब पार्टी हाई अलर्ट पर आ गई है। अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के संजय निषाद को लेकर जारी अफवाहों के बीच भाजपा ने डैमेज कंट्रोल के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। बुधवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल से मिलकर सीट बंटवारे पर बात की थी। इतना ही नहीं गुरुवार शाम को एक बार फिर से अमित शाह इन नेताओं से मुलाकात करने वाले हैं।
दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे पिछड़े नेताओं के भाजपा के अलग होने के बाद पार्टी दबाव की स्थिति में है। इस स्थिति का लाभ उठाते हुए अपना दल और निषाद पार्टी ने भी दबाव बढ़ा दिया है। ऐसे में भाजपा संभलकर चल रही है। वह इन नेताओं को छिटकने नहीं देना चाहती।
इसके अलावा भाजपा टिकट बंटवारे में भी बड़ा संतुलन बनाए रखना चाहती है। यही वजह है कि लगातार तीन दिनों से वेस्ट यूपी के ही दो चरणों के चुनावों के लिए टिकटों पर विचार चल रहा है। दरअसल भाजपा चाहती है कि टिकट बंटवारे में पूरी तरह से जिताऊ फैक्टर को ही अहमियत दी जाए।
आपको बता दें कि गुरुवार शाम होने वाले बैठक के बाद गठबंधन में दोनों पार्टियों की सीटें निर्धारित हो सकती हैं और 14 जनवरी को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर लखनऊ में इसकी घोषणा की जा सकती है।भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार, निषाद पार्टी ने 15 से 18 सीटें मांगी थी। अमित शाह से लंबी बैठक के बाद निषाद पार्टी को 15 सीटें दी जा सकती है।
खुद निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद ने भी यह बात कही है कि वे 15 सीटों पर प्रत्याशी उतार सकते हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि निषाद पार्टी के ही चुनाव चिन्ह पर भाजपा के भी कुछ प्रत्याशी भी चुनावी संग्राम में उतर सकते हैं। इसी मीटिंग में अनुप्रिया पटेल के अपना दल को भी 15 सीटें दिए जाने पर सहमति बनी है। हालांकि उनकी डिमांड इससे कहीं अधिक 35 से 30 सीटों की थी। इससे पहले 2017 में अपना दल को भाजपा के साथ गठबंधन में 11 सीटें दी गई थीं और उसमे से पार्टी ने 9 पर जीत दर्ज की थी।