देश भर में हिन्दू आबादी के घटने पर और लगातार हो रहे धर्मांतरण को लेकर अब जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने भी समान नागरिक संहिता की मांग कर दी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा खतरे में है हिंदुओं का अस्तित्व, तेजी से घट रही आबादी इसको लेकर uniform civil code लाना जरुरी है। सुदर्शन हमेशा से समान नागरिक संहिता लागु करने की मांग करता रहा है और जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी का इस समय इसकी मांग करना सुदर्शन की मांग पर मुहर जैसा है।
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि देश में हिंदुओं की आबादी घट रही है। देश में हो रहे धर्मांतरण की वजह से तेजी से हिंदुओं की आबादी में गिरावट देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस वजह से हिंदुओं का अस्तित्व खतरे में है। इधर दो बच्चे पैदा हो रहे हैं, उधर 20-25 बच्चे पैदा किए जा रहे हैं। रामभद्राचार्य ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के समक्ष समान नागरिक आचार संहिता का मुद्दा उठाया जाएगा। मैं संतों का अध्यक्ष हूं और वह संघ के अध्यक्ष हैं। इसलिए उनके आगे ये बात रखी जाएगी. इसलिए ही उन्हें कार्यक्रम में बुलाया गया है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड एक सेकुलर यानी पंथनिरपेक्ष कानून है, जो किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है, लेकिन भारत में अभी इस तरह के कानून की व्यवस्था नहीं है। फिलहाल देश में हर धर्म के लोग शादी, तलाक और जमीन जायदाद के मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के मुताबिक करते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय के अपने पर्सनल लॉ हैं, जबकि हिंदू पर्सनल लॉ के तहत हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के सिविल मामलों का निपटारा होता है. कहने का मतलब ये है कि अभी एक देश, एक कानून की व्यवस्था भारत में नहीं है।