वीर सावरकर जी के लिए उद्धव से पूछा गया वो सवाल जो अब तक शिवसेना पूछा करती थी बाकियों से
उध्दव ने सावरकर स्टेडीयम से की रैली, मगर नहीं निकला सावरकर के लिए एक भी शब्द, बीजेपी ने किया पलटलार
देशभर में कल रावन दहन के साथ वियजदशमी का त्यौहार बनाया गया, मगर मुंबई में एसा क्या हुआ की उद्धव ठाकरे को झेलने पड़े बीजेपी के ताने। हुआ यू, बीते रविवार यानि की 25 सितम्बर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिव सेना की 'वार्षिक दशहरा रैली' में जब भाषण दे रहे थे।तो उन्होंने वीर सावरकर को लेकर एक शब्द भी अपने मुह से नहीं निकला, हलाकि जिस स्टेडियम से वो रैली कर रहे थे वो वीर सावकार स्टेडियम था, ऐसे में सोचने वाली बात यह है, की उद्धव ठाकरे का अपने आप को बड़ा 'हिंदुत्वा-वादी' के प्रति सच्ची श्रद्धा और पूर्ण निष्ठां दिखाना, क्या येही तक सिमीत है की वो जिस स्टेडियम से भाषण दे, उस स्टेडियम क बारे में एक शब्द तक ना बोले और वो भी जब स्टेडियम 'हिंदुत्वा' की नीव रखने वाले वीर सावकार के नाम पर हो
बस इसी को लेकर बीजेपी के कई नेता उद्धव ठाकरे पर तंज कसने लगे। बीजेपी नेता रामकदम ने कहा उद्धव ठाकरे सावरकर स्टेडियम से रैली तो करते है, लेकिन उनकी प्रशंसा पर एक शब्द नहीं बोल पाए, सायद वो डर गए, रामकदम ने ट्वीट करते हुए भी लिखा, शिव सेना ने दशहरा रैली सावरकर सभागार से आयोजित करके 'हिंदुत्वा' पर सिख दी है, लेकिन सवाल ये है की सीएम उद्धव ठाकरे वीर सावकार के प्रशंसा में एक शब्द भी क्यों नहीं बोल पाए? सायद वो अपने नए दोस्त से डरते है, जो वीर सावरकर के खिलाफ बार-बार अपमानजनक बयानों का इस्तेमाल करते है।
महारष्ट्र के बीजेपी प्रवक्ता 'केशव उपाध्याय' ने आरोप लगाया कि ठाकरे के पास शिवसैनिकों को अपनी सरकार के काम के बारे में बताने के लिए कुछ भी नहीं था। उन्होंने कहा, ‘सत्ता के लिए शिवसेना ने हिंदुत्व से समझौता किया। उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के सावरकर की आलोचना पर एक भी शब्द नहीं बोला और उन्हें सावरकर स्टेडियम से दशहरा रैली को संबोधित करना पड़ा। यह आदर्श न्याय है।’
इस के अलावा बीजेपी विधायक अतुल भटखलकर ने कहा कि उद्धव ठाकरे के दशहरा भाषण में ना तो धर्मनिरपेक्षता थी और ना ही हिंदुत्व, हम उद्धव ठाकरे को बताना चाहते हैं कि हम में से जो 'काली टोपी' पहनते हैं, उनके पास दिमाग है और हम सीएम पद के लिए हिंदुत्व के मूल्यों का व्यापार नहीं करते हैं।
अब आईये आपको बताते है की उद्धव ठाकरे ने दशहरा रैली में क्या-क्या कहा- रैली में ठाकरे जी ने कहा 'हमसे हमारे हिंदुत्व के बारे में पूछा जाता है क्योंकि हम राज्य में फिर से मंदिर नहीं खोल रहे हैं। वे कहते हैं कि मेरा हिंदुत्व बाला साहेब ठाकरे से अलग है। खैर, आपका हिंदुत्व घंटियां और बर्तन बजाने वाला है। हमारा हिंदुत्व वैसा नहीं है।' इस के अलावा ठाकरे जी ने अपनी रैली में आरोप लगाते हुए कहा कोरोना वैक्सीन, बिहार चुनाव, सुशांत सिंह राजपूत को लेकर बीजेपी राजनीती कर रहे है, ठाकरे जी ने येहा तक बीजेपी को महाराष्ट्र सरकार गिराने की भी चुनौती दी एसे में बीजेपी के नेताओ का शिव सेना अद्यक्ष उद्धव ठाकरे पर पलटवार करना लाजमी है, क्यू की गौर किया जाए तो शिव सेना जो भगवा वस्त्र हमेशा अपने ऊपर लपेटे रहते है जो पूर्ण हिंदुत्वा के प्रति निष्ठित है, वो जब अपनी रैली में जाते है और वो भी वीर सावरकर स्टेडियम में और वह जा कर भाषण देते है, मगर उस भाषण में सावरकर के बारे में एक शब्द नहीं बोलते, जो 'हिंदुत्वा' का प्रतिक है, सवाल तो उठता है उद्धव ठाकरे का यह भाषण अधुरा रहा, हकीकत में देखा जाए तो उद्धव ठाकरे का 'हिंदुत्वा' वाला बर्तन में छेद हो चूका है।
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