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यूपी विधानसभा उपचुनाव: देवरिया में त्रिपाठियों के बीच होगी रोचक जंग

इस उपचुनाव में सभी प्रमुख दलों ने त्रिपाठियों पर जताया है भरोसा

रजत मिश्र, उत्तर प्रदेश , Twitter: rajatkmishra1
  • Oct 15 2020 5:38PM

कानपुर में बिकरू हत्याकांड के बाद ब्राह्मणों को रिझाने में जुटीं सभी राजनीतिक पार्टियां पूर्वांचल के ब्राह्मण बाहुल्य इलाके में जोर आजमाइश दिखाने जा रही हैं। देवरिया के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार है कि यहां के किसी विधानसभा चुनाव में सभी प्रमुख दलों ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं। देवरिया विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस ने इस बार न केवल ब्राह्मण उम्मीदवारों पर दांव लगाया है बल्कि‍ रोचक बात यह भी है कि सभी त्रिपाठी हैं। देवरिया सदर सीट से अंतिम बार ब्राह्मण जनप्रतिनिधि‍ वर्ष 1989 के विधानसभा चुनाव में जीता था। इसके बाद तीन दशकों से यहां कोई भी ब्राह्मण उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका है।

डॉ सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी (भाजपा)

भाजपा ने संत बिनोवा महाविद्यालय, देवरिया के एसोसिएट प्रोफेसर और राजनीतिक शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा प्रत्याशी डॉ. सत्यप्रकाश मणि बैतालपुर के उद्योपुर के मूल निवासी हैं। वे लंबे समय से भाजपा में हैं। उनके परिवार में कई शिक्षाविद् हैं। डॉ. सत्य प्रकाशमणि‍ त्रिपाठी कई समितियों में सदस्य एवं वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में देवरिया विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी रह चुके  हैं। ये बैतालपुर के ब्लॉक प्रमुख भी रहे हैं और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं।

ब्रह्माशंकर त्रिपाठी (सपा)

सपा के लिए यह पहला मौका है कि उसने देवरिया सदर से किसी ब्राह्मण उम्मीदवार पर भरोसा जताया है। समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार ब्रह्माशंकर त्रिपाठी पांच बार कसया एवं कुशीनगर से विधायक रह चुके हैं। सपा शासनकाल में दो बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं। कसया के पिपरा झाम गांव के मूल निवासी ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को राजनीति में 50 साल से अधिक का अनुभव है। इन्होंने राजनीति की शुरूआत 1967 में की थी। 1989 में जद (जनता दल) से चुनाव लड़कर पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1993 में दोबारा विधायक बनने का अवसर उन्हें हासिल हो सका। वर्ष 2002 में सपा से चुनाव लड़कर फिर विधायक बनने का गौरव उन्हें प्राप्त हुआ। 2003 में उन्हें पहली बार कैबिनेट मंत्री बनने का अवसर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने दिया। वर्ष 2007 में कसया से चुनाव लड़े और फिर विधायक बनें। परिसीमन के बाद 2012 में कुशीनगर विधानसभा बन गई, जहां से चुनाव लड़कर एक बार फिर जीते।

मुकुंद भास्करमणि त्रिपाठी (कांग्रेस)

अपने पुराने ब्राह्मण वोटबैंक को हथि‍याने में लगी कांग्रेस ने 34 वर्ष बाद देवरिया सदर विधाानसभा सीट से ब्राह्मण उम्मीदवार मुकुंद भाष्कर मणि‍ त्रिपाठी को टिकट दिया है।

अभयमणि त्रिपाठी (बसपा)

बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति अपनाते हुए वर्ष 2002, 2007 और 2017 में ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे थे। इस बार भी बसपा ने अभय मणि‍ त्रिपाठी को टिकट दिया है जिन्हें इसी सीट पर 2017 में हार का सामना करना पड़ा था।

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