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धर्मांतरण जिहाद के नेटवर्क को ध्वस्त करने पर आमादा UP ATS... 150 करोड़ की फंडिंग को सामने आई ये खबर

एटीएस ने चार्जशीट में बताया कि आरोपी अवैध धर्मांतरण कराने के लिए गिरोह का संचालन कर रहे थे. इस गिरोह द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर और दिव्यांगों खासकर मूक-बधिरों को बहला-फुसलाकर व जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा था. इसके लिए इस्लामिक दवाह सेंटर के अलावा डेफ सोसायटी को केंद्र बनाकर पूरे भारत में धर्मांतरण के लिए जाल बिछाया.

shanti
  • Oct 16 2021 4:39PM

यूपी जबरन धर्मांतरण (UP Conversion Racket) के मामले में यूपी एटीएस (UP ATS) की आर्थिक अपराध शाखा को छानबीन में एक इंटरनेशनल रैकेट के पक्के सबूत मिले हैं. जांच में सामने आया है कि 5000 लोगों का धर्मांतरण कराने का दावा करने वाले मौलाना उमर गौतम और उसके साथियों को विदेशों से करीब 150 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली थी. ये फंडिंग मौलाना उमर गौतम, कलीम और सलाहुद्दीन को भेजी गई थी. इन सभी ने विदेशी संस्थाओं के साथ मिलकर एक सिंडिकेट बनाया था जो कि हिंदुओं और अन्य धर्म के लोगों धर्मांतरण के लिए धार्मिक विद्वेष और मूल धर्म की बुराइयों से संबंधित किताबें भी छापा करते थे.

एटीएस ने चार्जशीट में बताया कि आरोपी अवैध धर्मांतरण कराने के लिए गिरोह का संचालन कर रहे थे. इस गिरोह द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर और दिव्यांगों खासकर मूक-बधिरों को बहला-फुसलाकर व जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा था. इसके लिए इस्लामिक दवाह सेंटर के अलावा डेफ सोसायटी को केंद्र बनाकर पूरे भारत में धर्मांतरण के लिए जाल बिछाया. यही नहीं, विदेशों में बैठे आरोपियों के सहयोगियों ने हवाला व अन्य तरीकों से भारी धन की व्यवस्था की. दूसरी ओर धर्म बदलने वाले मूल धर्म में वापस न जाएं, इसके लिए गिरोह प्रशिक्षण देने के साथ कार्यशालाओं का आयोजन करता था. इससे विभिन्न धर्मों की बीच वैमनस्यता व कटुता बढ़ी है.

चार्जशीट के मुताबिक पता चला कि उमर गौतम व जहांगीर आलम ने अपने गिरोह के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर एक सिंडिकेट भी बनाया था. इसका उद्देश्य धर्म बदलने वाले लोगों को उनके मूल धर्म के प्रति विद्वेष पैदा करना था. जिससे देश की अखंडता व एकता को बढ़ाने वाले बंधुता पर प्रतिकूल असर पड़ा है. उमर गौतम के सिंडिकेट को महाराष्ट्र में संचालित करने के आरोपी भूप्रिय बिंदो, कौसर आलम, फराज शाह व प्रसाद कावरे की मुख्य भूमिका है. चार्जशीट में कहा गया कि आरोपियों को धर्मांतरण के लिए विदेशों से मौलाना कलीम सिद्दीकी के जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट और हवाला के जरिए करोड़ों रुपये की फंडिंग की गई है. आरोपी पूछताछ में इस धन के बारे में कोई ब्योरा नहीं दे सके हैं.

 छानबीन में पता चला कि 5 साल के दौरान उमर गौतम की संस्था इस्लामिक दावा सेंटर और फातिमा चैरिटेबल ट्रस्ट को 30 करोड़ से ज्यादा रुपए विदेशी संस्थाओं से मिले मगर उसने इसका 60 फीसदी ही धर्मांतरण पर खर्च किया था. वडोदरा निवासी सलाहुद्दीन की संस्था अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम ऑफ इंडियन ओरिजिन को 5 साल में 28 करोड़ रुपए मिले जो उसने उमर गौतम को दिए थे. इसके अलावा 22 करोड़ रुपए कलीम की संस्था अल हसन एजुकेशनल सोसायटी को भेजे गए थे, यह फंड दुबई, तुर्की और अमेरिकी संस्थाओं की तरफ से भेजे गए थे. इसके अलावा महाराष्ट्र के प्रकाश कावड़े उर्फ एडम और उसके सहयोगियों को ब्रिटेन की एक संस्था से 57 करोड़ रुपए अवैध धर्मांतरण को बढ़ाने के लिए मिले

जांच के दौरान पहले ही सामने आ चुका है कि इनके निशाने पर गरीब, असहाय थे जिन्हें धोखा व प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराया जा रहा था. मामले में मुख्य आरोपी उमर गौतम के सहयोगी प्रसाद कावरे उर्फ एडम, फराज शाह, कौसर आलम और भूप्रिय बिंदों उर्फ अर्सलान के खिलाफ एटीएस के विशेष न्यायाधीश योगेंद्र राम गुप्ता की कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई. इससे पूर्व 18 सितंबर को एटीएस ने मामले में उमर गौतम, जहांगीर आलम, राहुल भोला, मन्नू यादव समेत छह आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था.

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