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आज है उपचंद्र ग्रहण, क्या है खास, जानें।

आज लगेगा चंद्र ग्रहण, नहीं होगा सूतक काल, ग्रहण के दौरान करें ये काम।

Anchal Yadav
  • Jun 5 2020 10:32AM
आज 5 जून को लगने वाला ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है। चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं। चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है।उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है।

उपच्छायी चंद्रग्रहण पांच जून की रात 11.15 पर शुरू होगा। जो कि देर रात यानि 6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक लगा रहेगा। यह चन्द्र ग्रहण कुल 3 घंटे 18 मिनट तक चलता रहेगा। इस चन्द्र ग्रहण का अधिकतम फेस रात में 12.54 पर होगा। शहरवासी चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देख सकते हैं। इससे कोई नुकसान नहीं होता है। उपच्छायी चंद्रग्रहण को नंगी आंखों देखने पर चन्द्र ग्रहण के आरंभ और अंत को नहीं समझा जा सकता है। लेकिन जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से पृथ्वी की उप छाया में आ जाएगा, तब हम चन्द्रमा के प्रकाश में आए हुए अंतर को आसानी से देख पाएंगे। इस चंद्रग्रहण को देखने के लिए 12.30 से 1.30 बजे तक का समय उत्तम है। चंद्र ग्रहण को लखनऊ समेत पूरे भारत में देखा जा सकेगा। इसके अलावा अधिकांश एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, साउथ अमेरिका के देशों समेत प्रशांत महासागर, अटलांटिक व हिन्द महासागर और अंटार्टिका में देखा जा सकेगा।

ज्योतिष में भी उपछाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है।5 जून का चंद्रग्रहण क्यों खास,?

ग्रहण काल में किन चीजों पर न हीं पाबंदी? क्या इस चंद्र ग्रहण पर सूतक लगेगा? ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इसलिए बाकी ग्रहण की तरह इस उपछाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं लगेगा। सूतक काल मान्य ना होने की वजह से मंदिरों के कपाट बंद नहीं किए जाएंगे और ना ही पूजा-पाठ वर्जित होगी। इसलिए इस दिन आप सामान्य दिन की तरह ही सभी काम कर सकते हैं।

क्या होता है चंद्रग्रहण?

जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है। इसे चंद्रग्रहण कहते हैं। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है।चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात में ही होता है। एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लगता है। चंद्र ग्रहण क्यों होता है? चंद्र ग्रहण एक खगोलीय स्थिति है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है। जब पृथ्वी सूर्य की किरणों को पूरी तरह से रोक लेती है तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं लेकिन जब चंद्रमा का सिर्फ एक भाग छिपता है तो उसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं।

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