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4 मई – 1799 में आज ही मार डाला गया था हजारों हिंदुओं का हत्यारा, नरपिशाच “टीपू सुल्तान”. जानिए उस क्रूर के बारे में जिसकी जयंती मनाना समझा जा रहा सेकुलरिज्म

जानिए इतिहास की महत्वपूर्ण घटना के बारे में जब अंत हुआ था एक नर पिशाच का।

Sudarshan News
  • May 4 2020 8:29AM

टीपू सुल्तान की तलवार पर खुदा है ,”मेरे मालिक मेरी सहायता कर कि, में संसार से काफिरों(गैर मुसलमान) को समाप्त कर दूँ” और उसने अपने इस दुष्कृत्य को अंजाम देने के लिए लाखों हिंदुओं का कत्ल किया, हजारों मंदिरों को नष्ट किया और लाखों हिंदू स्त्रियों का बलात्कार करवाया क्या ऐसे नीच और हत्यारे को मात्र वोट बैंक के लिए महिमामण्डित करना उचित है ?

ऐसा था कुछ तथाकथित राजनेताओं का नया आदर्श टीपू सुल्तान-

मतान्ध हैदर अली की म्रत्यु के बाद उसका उस से भी बड़ा क्रूर और धर्मांध पुत्र टीपू सुल्तान मैसूर की गद्दी पर बैठा। गद्दी पर बैठते ही टीपू ने मैसूर को मुस्लिम राज्य घोषित कर दिया। मुस्लिम सुल्तानों की परम्परा के अनुसार टीपू ने एक आम दरबार में घोषणा की —“मै सभी काफिरों को मुस्लमान बनाकर रहूंगा। “तुंरत ही उसने सभी हिन्दुओं को फरमान भी जारी कर दिया.उसने मैसूर के गाव- गाँव के मुस्लिम अधिकारियों के पास लिखित सूचना भिजवादी कि, “सभी हिन्दुओं को इस्लाम में दीक्षा दो।

जो स्वेच्छा से मुसलमान न बने उसे बलपूर्वक मुसलमान बनाओ और जो पुरूष विरोध करे, उनका कत्ल करवा दो.उनकी स्त्रिओं को पकडकर उन्हें दासी बनाकर मुसलमानों में बाँट दो। “ धर्मांतरण का यह नंगा नाच टीपू ने इतनी तेजी से चलाया कि , पूरे हिंदू समाज में त्राहि त्राहि मच गई. इस कातिल की फौज से बचने का कोई उपाय न देखकर धर्म रक्षा के विचार से हजारों हिंदू स्त्री पुरुषों ने अपने बच्चों सहित तुंगभद्रा आदि नदिओं में कूद कर जान दे दी। हजारों ने अग्नि में प्रवेश कर अपनी जान दे दी , किंतु धर्म त्यागना स्वीकार नही किया।

टीपू सुलतान को हमारे इतिहास में एक प्रजावत्सल राजा के रूप में दर्शाया गया है।टीपू ने अपने राज्य में लगभग ५ लाख हिन्दुओ को जबरन मुस्लमान बनाया। लाखों की संख्या में कत्ल कराये। इतिहास बताता है जिनसे टीपू के दानवी ह्रदय का पता चलता है..

टीपू के शब्दों में “यदि सारी दुनिया भी मुझे मिल जाए,तब भी में हिंदू मंदिरों को नष्ट करने से नही रुकुंगा.”(फ्रीडम स्ट्रगल इन केरल)

“दी मैसूर गजेतिअर” में लिखा है”टीपू ने लगभग १००० मंदिरों का ध्वस्त किया। २२ मार्च १७२७ को टीपू ने अपने एक सेनानायक अब्दुल कादिर को एक पत्र likha ki,”१२००० से अधिक हिंदू मुस्लमान बना दिए गए।”’

१४ दिसम्बर १७९० को अपने सेनानायकों को पात्र लिखा की,”में तुम्हारे पास मीर हुसैन के साथ दो अनुयाई भेज रहा हूँ उनके साथ तुम सभी हिन्दुओं को बंदी बना लेना और २० वर्ष से कम आयु वालों को कारागार में रख लेना और शेष सभी को पेड़ से लटकाकर वध कर देना”

टीपू ने अपनी तलवार पर भी खुदवाया था ,”मेरे मालिक मेरी सहायता कर कि, में संसार से काफिरों(गैर मुसलमान) को समाप्त कर दूँ”

टीपू के अब्बा हैदर अली से पहले भी मैसूर के शासक हिंदू थे और श्रीरंगपट्टनम में आज ही अर्थात 4 मई 1799 को 48 वर्ष की उम्र में ही उसकी मौत के बाद भी हिंदू राजा कृष्णराजा वोडियार तृतीय ने शासन संभाला था जिनका शासन विधिपूर्वक और न्यायपूर्वक रहा और उनके शासन में किसी मुस्लिम आदि पर मत, धर्म या जाति देख कर अन्याय के कोई प्रमाण नहीं हैं  .

ऐसे कितने और ऐतिहासिक तथ्य टीपू सुलतान को एक मतान्ध ,निर्दयी ,हिन्दुओं का संहारक साबित करते हैं क्या ये हिन्दू समाज के साथ अन्याय नही है कि, हिन्दुओं के हत्यारे को हिन्दू समाज के सामने ही एक वीर देशभक्त राजा बताया जाता है, अगर टीपू जैसे हत्यारे को भारत का आदर्श शासक बताया जायेगा तब तो भविष्य में सभी कुख्यात आतंकवादी भारतीय इतिहास के ऐतिहासिक महान पुरुष बनेगे।

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