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टोडाभीम में दंगल का रोमांच - विशाल लख्खी मेला कुश्ती दंगल का होगा आयोजन,हज़ारों की तादात में पहुँचेंगे श्रद्धालु

टोडाभीम में 3 सितंबर यानि कल से आयोजित होने वाले लक्खी मेले कुश्ती दंगल की तैयारियां पंचायत प्रशासन और ग्रामीणों की ओर से जोर-शोर से पूरी कर ली गई है। इसका आयोजन बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसमें आसपास के ग्रामीण इलाकों के हजारों लोग सुबह से ही भैरू बाबा के मंदिर में पहुंचना शुरू हो जाते हैं। डीजे की धुनों पर नाचते कूदते दूरदराज के गांवों के महिला पुरुष पैदल और परिक्रमा देते हुए पहुंचते हैं।

आशीष व्यास
  • Sep 3 2022 10:08AM
टोडाभीम में 3 सितंबर यानि कल से आयोजित होने वाले लक्खी मेले कुश्ती दंगल की तैयारियां पंचायत प्रशासन और ग्रामीणों की ओर से जोर-शोर से पूरी कर ली गई है। इसका आयोजन बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसमें आसपास के ग्रामीण इलाकों के हजारों लोग सुबह से ही भैरू बाबा के मंदिर में पहुंचना शुरू हो जाते हैं। डीजे की धुनों पर नाचते कूदते दूरदराज के गांवों के महिला पुरुष पैदल और परिक्रमा देते हुए पहुंचते हैं। कई राज्यों से पहुंचते हैं पहलवान कई राज्यों के पहलवान भैरू बाबा के विशाल कुश्ती मेले में पहुंचते हैं। जिनमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, मध्य प्रदेश आदि राज्यो के पहलवान पहुंचते हैं। गांव के लोग बताते हैं कि काफी सालों से यह मेला कुश्ती दंगल का आयोजन होता है। पहले छोटे रूप में होता था लेकिन समय के अनुसार अब विशाल रूप में इस मेले में कुश्ती दंगल का आयोजन होता है। इस तरह मिलता है पहलवानों को मौका कुश्ती दंगल में आने वाले पहलवानों के लिए कमेटी को आधार कार्ड और फोटो देना होता है। जिससे कि कमेटी को पता लग सके कि कौन कहां से और आया है। कुश्ती मैदान के अंदर दो से चार पांच रैफरी होते हैं। वहीं कमेटी बैठी रहती है। 100 रुपए से कुश्ती की आवाज देना शुरू होता है जो लाखों रुपए तक पहुंच जाती है। इसमें हर इनाम पर अलग अलग पहलवान अपने दांव पेंच अपनाते हैं। वहीं जो पहलवान एक बार कुश्ती लड़ लेता है उसे दोबारा मौका नहीं दिया जाता है। चाहे वो जीतने वाला हो या हारने वाला जो एक बार कुश्ती लड़ लेता है, उसे दोबारा नहीं लड़ाया जाता है। वहीं जीतने वालों को तुरन्त कमेटी द्वारा इनाम दिया जाता है। वहीं अंत में लाखों का इनाम दिया जाता है। जिस पर सिर्फ 2 ही पहलवान रह जाते हैं और उनके बीच टक्कर होती है। दूर-दूर से आते हैं दर्शक टोडाभीम के करीरी में आयोजित होने वाले विशाल कुश्ती दंगल मेले में दूर-दूर से भक्त बाबा के दरबार में पहुंचते हैं। इस दौरान वे पहाड़ पर स्थित भैरू बाबा के मंदिर का दर्शन करते हैं। वहीं करीरी गाजीपुर गांव की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि लक्खी मेले दंगल के दिन प्रत्येक घर में दूरदराज से आने वाले लोगों के लिए प्रसादी बनाई जाती है और आने वाले लोग किसी भी घर मे प्रसादी ले सकते हैं। पहाड़ पर स्थित है भैरूबाबा का मंदिर करीरी मैं स्थित भैरू बाबा का विशाल मंदिर पहाड़ की ऊंचाई पर स्थित है। भक्तों को लगभग 400-500 सीढ़ियां चढ़कर ऊपर बाबा के दरबार में पहुंचना होता है। कुश्ती दंगल का बना हुआ है स्टेडियम वहीं कुश्ती आयोजन के लिए यहां स्टेडियम बना हुआ है। साथ ही तीन तरफ पहाड़ होने से लोग पहाड़ों पर बैठकर भी कुश्ती का लुफ्त उठाते हैं। जिससे नाजारा देखने लायक होता है। लोगों की भीड़ के आगे पहाड़ दिखाई नहीं देता है। तीनों तरफ पहाड़ पर बैठे लोगों ही दिखाई देते हैं। 2019 में 61 हजार की फाइनल कुश्ती 2019 में 61000 रुपये की फाइनल कुश्ती का इनाम रखा गया था। जिसमें दिल्ली के पहलवान हितेश और उत्तर प्रदेश के पहलवान वरुल के बीच मुकाबला हुआ था। जिसमे दिल्ली के हितेश पहलवान को दंगल केसरी का इनाम दिया गया था। वहीं 2018 में 51 हजार रुपए की फाइनल कुश्ती हुई थी। 2 साल बाद आयोजन, सुरक्षा के रहे इंतजाम वहीं कोरोना के चलते 2 वर्ष तक कुश्ती दंगल का आयोजन नहीं हुआ, जो अब 2 वर्ष बाद अब कुश्ती दंगल का आयोजन किया जा रहा है। लक्खी मेले में अधिक भीड़ होने के चलते सुरक्षा व्यवस्था में सैकड़ों जवान तैनात किए जाते हैं। वहीं यातायात व्यवस्था को संभालने के लिए यातायात पुलिसकर्मी भी लगाए जाते हैं। जिससे कि किसी भी तरीके की यातायात व्यवस्था खराब ना हों और सुरक्षा का जिम्मा पुलिस जवान और अधिकारियों पर रहता है। वहीं चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात किए जाते हैं। लड़कियां और विकलांगों की होती है कुश्ती आपको बता दें कि पिछले बार लड़कियां भी कुश्ती के दंगल में पहुंची थीं और अपने दमखम को दिखाती हुई नजर आईं थीं। साथ ही विकलांग पहलवानों की कुश्ती लोगों को रोमांचित कर देती है। इस दौरान भैरू बाबा के लक्खी मेले में क्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधि पहुंचते हैं और कुश्ती दंगल का आनंद लेते हैं ।

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