आज महाशिवरात्रि के पर्व पर देश भर के मंदिर हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज रहे हैं. हर मंदिर की अपनी विशेषता हैं, अद्भुत और स्वर्णिम इतिहास है. कई मंदिरों में तो भगवान की कृपा से चमत्कार भी होते हैं. लेकिन राजस्थान के कोटा जिले में एक ऐसा मंदिर स्थित है जो साल में बस एक बार वो भी महाशिवरात्रि के अवसर पर खुलता है.
कोटा के विज्ञान नगर में स्थित यह मंदिर लगभग 60 साल पुराना है. अमलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने वाले इस मंदिर को उस वक्त के उस ईट भट्टे में रहने वाले लोगों ने छोटी-छोटी पूंजी जमा कर बनाया था. इस मंदिर का भी अपना एक अलग इतिहास है. यह मंदिर दो दशक से बंद था और कई प्रयासों के बाद इस मंदिर को खुलवाया गया. इस मंदिर की साफ-सफाई भी विज्ञान नगर थाने के पुलिसकर्मी करवाते हैं. साथ ही महाशिवरात्रि के दिन पूजा होने के बाद इस मंदिर में दूसरे दिन फिर ताला लगा दिया जाता है.
क्या है मंदिर का इतिहास
अमलेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण यहीं के रहने वाले ईट भट्टे में काम करने वाले लोगों ने अपनी छोटी-छोटी पूंजी जमा करके करवाया था. लेकिन कुछ ही समय बाद उस ईट भट्टे वाले स्थान को हड़प लिया गया. पहले तो लोगों से उनके घर छीने गए और उसके बाद मंदिर में होने वाली आरती को भी रोक दिया गया. जैसे-जैसे इलाके में मुस्लिम की आबादी बढ़ती गई वैसे वैसे मंदिर में पूजा करने के लिए दिक्कतें बढ़ती गई.
लगभग 40 साल तक नहीं हुई मंदिर में पूजा
मंदिर में पूजा करने के लिए स्थानीय लोगों नें प्रशासन और उस समय की कांग्रेस सरकार से गुहार लगाई. लेकिन मंदिर में पूजा को बंद करने के आदेश दे दिए गए थे. इस आदेश से हिंदूओं की आस्था को आघात पहुंचा था और लगभग 40 सालों तक महादेव के इस मंदिर में पूजा होनी बंद हो गई थी.
महाशिवरात्रि के दिन खुलने लगे मंदिर के कपाट
सालों तक बंद रहने के बाद कुछ सालों पहले बजरंग दल विश्व हिंदू परिषद और अन्य समाज के कर्मठ हिंदुत्व प्रेमी लोगों ने इस मंदिर को खुलवाने का बीड़ा उठाया. उन्होंने काफी हद तक अपना संकल्प पूरा भी किया और महाशिवरात्रि पर मंदिर को खुलवा दिया. लेकिन हर साल पुलिस जाब्ते और सैन्य बल के साथ और पुलिस के उच्च अधिकारियों की देखरेख में महाशिवरात्रि पर अमलेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना होती है. महाशिवरात्रि के बाद मंदिर के कपाट को दोबारा बंद करवा दिया जाता है.