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पिता-पुत्र की ये जोड़ी हिन्दू पक्ष का फ्री में लड़ती है केस, राम मंदिर के लिए भी लगाया था एड़ी चोटी का जोर

भगवान राम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। आज प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुरू हुए अनुष्ठान का दूसरा दिन है। आज जो भव्य राम मंदिर आकर ले रहा है उसके पीछे दशकों तक चली लंबी कानूनी लड़ाई है और इस लड़ाई को धार देने का काम किया था वकील हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने।

रजत के.मिश्र, Twitter - rajatkmishra1
  • Jan 17 2024 7:12PM

इनपुट- श्वेता सिंह, लखनऊ, twitter-@shwetamedia207

 
भगवान राम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। आज प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुरू हुए अनुष्ठान का दूसरा दिन है। आज जो भव्य राम मंदिर आकर ले रहा है उसके पीछे दशकों तक चली लंबी कानूनी लड़ाई है और इस लड़ाई को धार देने का काम किया था वकील हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने। 
 
इस वकील की सबसे बड़ी खास बात थी कि इन्होने राम जन्मभूमि का केस लड़ने के लिए कोई फीस नहीं ली थी। आपको बता दें पिता हरि शंकर जैन और बेटा विष्णु शंकर जैन राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद, काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह में हिंदू पक्ष की ओर से पैरोकार हैं, जिसमें राम मंदिर पर फैसला हिंदू पक्ष में आया और भव्य राम मंदिर बनकर तैयार है। पिता-पुत्र की ये जोड़ी हिंदू पक्ष की ओर से लड़ने वाले मामले की कोई फीस नहीं लेते हैं।
 
आपको बता दें ऐसा पहली बार नहीं है कि इस जोड़ी ने हिंदुओं को उनका हक दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया हो। लगभग ऐसे 102 मामले बताए जाते हैं जिनमें इस जोड़ी ने या इनमें से कम से कम एक ने हिंदुओं को अदालत में मजबूत करने का काम किया है। हिंदुओं की तरफ से लड़ने वाले वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन को वकालत करते-करते 4 दशक बीत गए हैं। उन्होंने 1976 में वकालत शुरू की थी। वहीं उनके बेटे विष्णु जैन का जन्म 9 अक्टूबर 1986 को हुआ था और उन्होंने 2010 में कानून की पढ़ाई पूरी करके वकालत में अपने करियर का आरंभ किया था। 
 
साल 2016 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता का पेपर पास करके विष्णु जैन ने नई उपाधि हासिल की थी और उसके बाद उनकी प्रैक्टिस की शुरुआत ही श्रीराम जन्मभूमि मामले से हुई थी। हिंदुओं से संबंधी करीब 102 मामले ऐसे हैं जिनमें हरिशंकर जैन और विष्णु जैन में से कोई एक या फिर दोनों अदालत में पेश हुए हों। इनमें सबसे पुराना मामला साल 1990 का है। दिलचस्प बात ये है कि ज्यादातर केसों को पिता-पुत्र की जोड़ी ने जिता कर ही दम लिया। वहीं कुछ हैं जो अब भी चल रहे हैं। पिता-पुत्र कानूनी लड़ाई के लिए कोई पैसा नहीं लेते हैं। हरि शंकर का कहना है कि जिस दिन हम अपनी सेवाओं के लिए पैसे लेने या किसी पद पर नजर रखने का फैसला करेंगे, हिंदू कल्याण का उद्देश्य विफल हो जाएगा।

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