यदि आप दिल्ली के "इंडिया गेट" पर पहले कभी घूमने के लिए गए है, और वो तस्वीर आपके मन में कैद हो गई है, तो उस तस्वीर को मिटाने की बारी आ गई है क्योंकि इंडिया गेट क आस-पास का नज़ारा अब बदलने जा रहा है। केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट " सेंट्रल विस्टा" के अंतर्गत, ये सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है। हर जगह लाल ग्रेनाइट पत्थरों के रास्ते, नहर पार करने के लिए पुल, थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पत्थर की खूबसूरत बेंच और रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था सेंट्रल विस्टा की झलक दे रहे हैं. अभी तक तैयार हुआ सैंपल स्ट्रेच का आकार 190 मीटर लंबा और 45 मीटर चौड़ा है. इसमें राजस्थान से लाए गए लाल ग्रेनाइट पत्थर लगाए गए हैं. इससे पहले यहां बजरी बिछी हुई थी. यहां चौकोर और आयताकार पत्थरों को सलीके से लगाया गया है. राजपथ के साथ पैदल मार्ग की लंबाई 4.6 मीटर है.
नए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अगले ढाई सौ सालों की जरूरतों के मद्देनजर विश्वस्तरीय सेंट्रल विस्टा बनाने की दिशा में कार्य चल रहा है. इस बड़े प्रोजेक्ट की प्राथमिकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार ने कोविड 19 को लेकर प्रभावी प्रतिबंधों के बीच इसे आवश्यक सेवाओं में माना था, ताकि निर्माण पर किसी तरह का कोई असर न पड़े.
शहरी कार्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली इस परियोजना को पूरा कराने की जिम्मेदारी सीपीडब्ल्यूडी की है. नोडल एजेंसी सीपीडब्ल्यूडी ने हाल में एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी को बताया है कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नवंबर 2022 तक नया संसद भवन बनकर तैयार होगा. दिसंबर 2022 तक उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का नया आवास भी क्रमश: नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के पास बनकर तैयार होगा. इसके अलावा कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट भी बनाने की तैयारी है. एसपीजी की भी दिसंबर 2022 तक बिल्डिंग बनकर तैयार होगी. सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत 13450 करोड़ की लागत से करीब एक दर्जन भवनों के निर्माण के दौरान 46700 लोगों को अस्थाई रोजगार मिलने का अनुमान है.
"विस्टा" प्रोजेक्ट पर सवाल उठा चुके है "राहुल गाँधी"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा को आपराधिक बर्बादी करार दिया था। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा था कि लोगों की जान केंद्र में रखिए, न कि नया घर पाने के लिए अपनी अंधी हेकड़ी। वहीं, इस पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि मामले में पार्टी का रुख अजीब है क्योंकि उसके नेताओं ने यूपीए सरकार के दौरान इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि यूपीए की सरकार के दौरान कांग्रेस नेताओं ने संसद के नए भवन की जरूरत को लेकर चिट्ठियां लिखी थी।