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कानपुर देहात से विलुप्त होता बुनकर समाज द्वारा हस्त निर्मित सूती उद्योग |

यूपी के कानपुर देहात में पूर्वजो से बुनकर समाज के लोग सूती वस्त्र बनाने का काम करते चले आ रहे है । ये लोग हस्त निर्मित सूती वस्त्र तैयार कर आस पास के गांवों में बेंचते है लेकिन | और जानने के लिए नीचे पढ़े --

धर्मेंद्र सिंह राठौर
  • Jun 9 2021 5:49PM

यूपी के कानपुर देहात में पूर्वजो से बुनकर समाज के लोग सूती वस्त्र बनाने का काम करते चले आ रहे है । ये लोग हस्त निर्मित सूती वस्त्र तैयार कर आस पास के गांवों में बेंचते है लेकिन आज के आधुनिक समय मे तरह तरह फैन्सी कपड़ो ने अपनी जगह बना ली है जिससे जनपद का हस्त निर्मित सूती वस्त्र उद्योग बन्द होने की कगार पर है और जनपद की ये हस्त उद्योग कलाएं विलुप्त होती दिखाई दे रही है । बुनकर समाज के लोगो को बाहर जाकर मजदूरी करने को विवश होना पड़ रहा है । 

वीओ - देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेक इन इंडिया , मेड इन इंडिया की बात करते है लेकिन कानपुर देहात में देश के प्रधानमंत्री का मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया का सपना साकार होते नही दिख रहा है । एक समय हमारे हिंदुस्तान की हस्त निर्मित खादी वस्त्र पहचान हुआ करती थी । जो अब विलुप्त होती जा रही है । कानपुर देहात के भोगनीपुर तहसील क्षेत्र के मूसानगर बांगर में सन 1964 से बुनकर समाज के 70 परिवार  हस्त निर्मित सूती वस्त्र उद्योग का कार्य करते आ रहे थे लेकिन आर्थिक स्थित ठीक न होने के कारण बुनकर समाज के 50 परिवारों ने ये काम बंद कर दिया है उनकी मशीनें जंग खा रही है वही आज के समय सिर्फ 20 परिवार ही ये काम कर रहे है। काम बंद करने का इनका मेन कारण रहा है कि बुनकर समाज को हस्त निर्मित सूती वस्त्र को तैयार करने के बाद कोई अच्छा प्लेटफार्म नही मिला जिससे इनके बनाये हुए वस्त्रों को अच्छी मार्केट मिल जाती और इनके कपड़ो की बिक्री बढ़ जाती । और दूसरा ये कि आज के आधुनिक समय मे लोग हस्त निर्मित सूती वस्त्रों को भूलकर तरह तरह के फैन्सी कपड़ो ने इनकी जगह ले ली है । ऐसे में अब बुनकर समाज के लगभग 20 ही परिवार बचे है जो आज भी ये काम कर रहे है । जो हस्त निर्मित सूती वस्त्र तैयार कर यही लोकल की बाजार में बेंचते है जिससे इनके घर का खर्च तक नही निकलता है इनको परिवार चलाने में दिक्कत होती है जिसके कारण ये बुनकर समाज के लोग ईंट भट्ठों में काम करने लगे है या फिर दूसरे राज्यो में जाकर काम धंधा कर परिवार का पेट पाल रहे है । कानपुर देहात के इन बुनकर समाज के लोगो का सरकार ने भी कोई ध्यान नही दिया और इनको किसी प्रकार की सुविधाएं नही दी । अगर सरकार ने इनके बारे में सोचा होता तो शायद बुनकर समाज के लोगो को बाहर जाकर नौकरी नही करनी पड़ती.........

वही सुदर्शन न्यूज़ की टीम ने मूसानगर बांगर पहुंच बुनकर समाज के लोगो से मुलाकात की और उनके द्वारा बनाये जाने वाले हस्त निर्मित सूती वस्त्रों को देखा । मूसानगर बांगर में देखा कि घर घर लोग सूती वस्त्र बनाने का काम कर रहे है । लेकिन जब बुनकर समाज से उनकी आमदनी के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि इस काम को हमारे पूर्वज करते चले आ रहे है लेकिन आमदनी नही होने से लगभग 50 परिवारों ने ये काम बंद कर दिया है  अब 20 परिवार ही काम कर रहे है । अब इस काम से घर का खर्च नही चल पाता है यहाँ के लोग ईंट भट्ठों में जाकर मजदूरी करते है या फिर दूसरे राज्य जाकर नौकरी करते है । क्योंकि हम लोग सूती कपड़े तैयार तो कर लेते है लेकिन कोई खरीददार नही है अगर हमारे बनाये हुए सूती कपड़ो की अच्छी मार्किट मिल जाये तो हम लोगो का व्यापार अच्छे से चलेगा और लोगो को बाहर जाकर नौकरी नही करनी पड़ेगी । सरकार ने भी हम लोगो का ध्यान नही दिया । किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधाएं नही मिली । अगर सरकार हमारी तरफ ध्यान दे दे तो हम लोगो का रोजगार अच्छे से चल जायेगा । और एक बार फिर से देश की पहचान सूती वस्त्र उद्योग को नई पहचान मिल जायेगी।

वही जब बुनकर समाज की समस्या के बारे में जनपद के मुख्य विकास अधिकारी से बात की गई तो मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पाण्डे ने बताया कि बुनकर समाज की आर्थिक स्थित सुधारने के लिये और उनको अच्छी मार्केटिंग देने के लिये वहाँ के नगर पंचायत के अधिशाषी अधिकारी और जीएम डीआईसी जो इंडस्ट्रीज प्रोमोट करते है इनको लगाकर इनके द्वारा बनाये गए हस्त निर्मित सूती  कपड़ो की मार्केटिंग बढ़ायी जाएगी | 

 

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