ऐसी मान्यता है की इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं | चूकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं,अतः इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है | महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था | मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थी |
उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से दान का पर्व है | इलाहाबाद में गंगा,यमुना व सरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष एक माह तक माघ मेला लगता है जिसे माघ मेले के नाम से जाना जाता है | 14 जनवरी से ही इलाहाबाद में हर साल माघ मेले की शुरुआत होती है | 14 दिसंबर से 14 जनवरी तक का समय खर मास के नाम से जाना जाता है | एक समय था जब उत्तर भारत में 14 दिसम्बर से 14 जनवरी तक पूरे एक महीने किसी भी अच्छे काम को अंजाम भी नहीं दिया जाता था | मसलन शादी-ब्याह नहीं किये जाते थे परन्तु अब समय के साथ लोगबाग बदल गये है | परन्तु फिर भी ऐसा विस्वाश हैं कि 14 जनवरी यानि मकर संक्रांति से पृथ्वी पर अच्छे दिनों की शुरुआत होती है | माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्रांति से शुरू होकर शिवरात्रि के अ खिरी स्नान तक चलता है | संक्रांति के दिन स्नान के बाद दान देने की भी परम्परा है | बजेसवर में बड़ा मेला होता है | वैसे गंगा स्नान रामेश्वर,चित्रशिला व अन्य स्थानों में भी होते है | इस दिन गंगा स्नान करके तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणो व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है | इस पर्व पर छेत्र में गंगा एवं रामगंगा घाटों पर बड़े-बड़े मेले लगते है | समूचे उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचडी के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन चिचड़ी खाने एवं खिचड़ी दान देने का अत्यधिक महत्व होता है |