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राजस्थान की सियासी मंडी में बार-बार बिका माया का हाथी.. पढ़िए सिलसिलेवार कहानी..

राजस्थान के रण में 3 बार कांग्रेस से मायावती को दिया धोखा, इस बार मायावती सुप्रीमकोर्ट तक जाने को तैयार..

रजत मिश्र, उत्तर प्रदेश, ट्विटर- @rajatkmishra1
  • Jul 28 2020 4:25PM

राजस्थान के सियासी हालातों के बीच मायावती काँग्रेस पर लगातार हमलावर हो रही है। मायावती का ये दर्द काफी पुराना है। राजस्थान में माया के सियासी सफर में कांग्रेस ने बसपा को 3 बार धोखा दिया। मायावती का वही दर्द आज सामने आ रहा है। राजस्थान में 2 बार बसपा किंग मेकर बनी लेकिन दोनों बार बसपा के विधायक कांग्रेस के साथ चले गए लेकिन अब बसपा मुखिया के तेवर सख्त है। राजस्थान की राजनीति में बीएसपी का अब तक का सफर कैसा रहा इसको एक नजर में समझिये।

साल 1998 : राजस्थान में बीएसपी का खाता पहली बार खुला। कांग्रेस को 150, भाजपा को 33 सीटें मिलीं। बीएसपी के 2 विधायक भी जीते लेकिन बहुमत होने के कारण मायावती के विधायकों की जरूरत किसी को नहीं थी।

साल 2003 : भाजपा ने 120 सीटें जीत कर सरकार बनाई और कांग्रेस 56 सीटो पर सिमट गई। इस चुनाव में भी बसपा ने 2 सीटें जीती लेकिन एक बार फिर बसपा के विधायकों की जरूरत किसी को नही पड़ी।

साल 2008 : ये चुनाव बसपा के राजनैतिक कैरियर की दृष्टि से अच्छा था, बीएसपी किंग मेकर बनकर उभरी। बसपा ने 6 सीटे जीती। कांग्रेस को 96 और भाजपा को 78 सीटें मिली।।यहां पहली बार मायावती को कांग्रेस ने धोखा दिया, अशोक गहलोत ने बीएसपी विधायकों का कांग्रेस में विलय करवा लिया और मुख्यमंत्री बन गए।

साल 2013 : भाजपा को 163 सीटों के भारी भरकम बहुमत के साथ सरकार बनाई। बसुंधरा राजे सिंधिया मुख्यमंत्री बन गई। कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई। इस चुनाव में भी बसपा ने 3 सीट जीती लेकिन उनकी जरूरत किसी को नही थी। कांग्रेस ने विपक्ष को मजबूत करने के लिए इन विधायकों का सहारा लिया। 

साल 2018 : कांग्रेस ने इस चुनाव में तगड़ी वापसी करी और 100 सीट जीती। भाजपा को 73 सीट मिली वही बसपा 6 सीट जीतने में कामयाब रही। बीएसपी को 6 सीटें मिलीं। उपचुनाव में एक सीट भाजपा से छीनकर कांग्रेस 101 पर आ गई। बहुमत को और मजबूत करने के लिए अशोक गहलोत ने एक बार फिर बसपा के विधायकों को तोड़ लिया और उनको कांग्रेस में शामिल करवा लिया। कांग्रेस ने दूसरी बार राजस्थान में मायावती को।धोखा दिया। 

ये विधायक हुए थे कांग्रेस में हुए शामिल - 

बीएसपी से चुनाव जीते राजेन्द्र गुढ़ा (उदयपुरवाटी, झुंझुनूं), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई, भरतपुर), वाजिब अली (नगर, भरतपुर), लाखन सिंह मीणा (करौली), संदीप यादव (तिजारा, अलवर) और दीपचंद खेरिया (किशनगढ़बास, अलवर) ने सितंबर 2019 में पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गई।

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