इनपुट-अखिल तिवारी
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले आतंकियों ने अपना जाल फैलाना शुरू कर दिया है,उत्तर प्रदेश के अंदर लगातार टेरर फंडिंग के मामले सामने आ रहे हैं,हाल में ही ई-टिकेट के अवैध कारोबार से अंतराष्ट्रीय सरगना बने शातिर हामिद को गिरफ्तार कर लिया गया है जल्द ही बस्ती पुलिस उसके विभिन्न राज्यों में फैले नेटवर्क और उससे जुड़े लोगों का खुलासा कर सकती है।
आपको बता उत्तर प्रदेश के अंदर सिर्फ यही एक मामला नही है,इसके पहले भी रोहंगिया और टेरर फंडिंग केस में उत्तर प्रदेश एटीएस ने गोरखपुर,खलीलाबाद ,अलीगढ़ समेत कई जिलों में छापेमारी की थी,साथ ही सूत्रों के हवाले से खबर भी मिली थी कि रोहंगिया और टेरर फंडिंग केस में यूपी एटीएस ने बस्ती,अलीगढ़ समेत 5 अन्य जिलों में भी बड़ी छापेमारी की थी,एक तरफ खबर आई थी कि खलीलाबाद के मोती नगर से अब्दुल मन्नान को ATS टीम ने दबोचा था।
चुनाव से पहले क्या है साजिश?
अब सवाल ये खड़ा होता है कि यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही टेरर फंडिंग दल क्यों सक्रिय हो गया है? दरशल में हाथरस कांड को राजनैतिक मुद्दा बनाने की कोशिश की गई थी इस बात से इंकार नही किया जा सकता,साथ ही हाथरस कांड में दंगा भड़काने के लिए हुई टेरर फंडिंग के मामले में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने दिल्ली के शाहीन बाग में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तर पर छापेमारी की,यूपी एसटीएफ की टीम रविवार सुबह पीएफआई के दफ्तर में रेड करने पहुंची थी।
दंगा भड़काने में आतंकी साजिश
गौरतलब है कि रऊफ CAA/NRC और हाथरस दंगा भड़काने का आरोपी है, बीते गुरुवार को मथुरा कोर्ट ने 5 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था,यूपी एसटीएफ के मुताबिक रउफ शरीफ ने विदेश से फंडिंग हासिल करके सिद्दकी कप्पन और अन्य को पैसे दिए,हाथरस दंगा भड़काने के नाम पर सिद्दकी कप्पन का भी नाम था।
आगामी विधान सभा चुनाव है और इस तरह से टेरर फंडिंग के मामले बहुत से सवाल खड़े करते हैं,इससे पहले 29 दिसम्बर 2020 को गोरखपुर एटीएस ने नईम एन्ड संस मोबाइल शॉप पर छापा मारा था,इस मामले में भी ATS को टेरर फंडिंग,हवाला और देश विरोधी तत्वों की खुफिया जानकारी मिली थी।एक बात और गौरतलब है कि सहारनपुर से यूपी पुलिस की ATS ने दो संदिग्ध बंगलादेशी आतंकियों को गिरफ्तार किया था,संदिग्ध का नाम इकबाल और फारुख था। दोनों के पास फर्जी आधार वोटर और आईडी कार्ड समेत अन्य दस्तावेज बरामद हुआ था।