भारत में संविधान सर्वोपरि है लेकिन कुछ इस्लामिक कट्टरपंथी सोच के लोग पहले कानून की दुहाई देते हैं फिर जब कोर्ट सही दिशा में कार्य करता है तो यही लोग उस कानून को तोड़ने से पीछे नहीं हटते हैं। ऐसा ही कुछ ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान हो रहा है। यह कोर्ट की और से बनाई गई टीम को काम में मुस्लिम पक्ष के लोग अड़चन पैदा कर रहे हैं।
ज्ञानवापी के शृंगार गौरी व अन्य विग्रहों के सर्वे और अधिवक्ता आयुक्त को हटाने के मामले में मंगलवार को न्यायालय में दोनों पक्ष के वकीलों ने दलीलें पेश कीं। बहस में वादी पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर के अंदर तहखाने तक सर्वे की मांग को दोहराया। बुधवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा की भूमिका पर निर्णय लिया सकता है।
मंगलवार दोपहर बाद शुरू हुई न्यायालय की कार्यवाही में वादी पक्ष की आपत्ति पर प्रति आपत्ति में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कहा कि वादी पक्ष के समस्त कथन और तर्क बेबुनियाद, अर्थहीन और विधि के खिलाफ हैं। आराजी नंबर 9130 का कमीशन कार्यवाही में जिक्र है, लेकिन क्षेत्रफल, मौजा, चौहद्दी का जिक्र नहीं है।
न्यायालय में बहस के दौरान वादी पक्ष ने कमीशन की कार्यवाही के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से बाधा उत्पन्न किए जाने की जानकारी अदालत में दी। उन्होंने मांग की कि अधिवक्ता आयुक्त को मौका मुआयना करने दिया जाए। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में बैरिकेडिंग के अंदर और तहखाने में सर्वे की मांग दोहराई।