कभी एक फैशन हुआ करता था जब देश की आंतरिक सुरक्षा की रीढ़ पुलिस बल को अपमानित कर के खुद को बहुत बड़ा और स्थपित पत्रकार बताने की कोशिश हुआ करती थी. उस समय होड़ मचा करती थी कि कौन पुलिस बल के खिलाफ कितना कडवा लिख सकता है. तब ये भी हुआ करता था कि जिसमे पुलिस की कोई गलती नहीं उसमे भी उनको खींच लिया जाता था. ऐसा लगता था कि जैसे थाने के 10 या २० स्टाफ ही उस क्षेत्र की सभी समस्याओं की जड हैं.
अत्यधिक दबाव और अत्यधिक तनाव के चलते कई पुलिस वाले आत्महत्या तक करने लगे थे. उस समय सुरेश चव्हाणके जी के नेतृत्व में सुदर्शन न्यूज़ ने एक अलग राह दी मीडिया के जगत को और समाज की आंतरिक सुरक्षा की रीढ़ पुलिस बल का सम्मान शुरू किया. उनके नेक कार्यों को प्राथमिकता दी और बताया कि किस प्रकार से वो देश की आंतरिक व्यवस्था को संभाले हुए हैं.
अथक परिश्रम के बाद आखिरकार समाज के एक बड़े तबके ने हमसे सहमति जताई और ये माना कि पुलिस बल को नेताओं व् कुछ तथाकथित पत्रकारों ने बेवजह बदनाम किया है. सुरेश चव्हाणके जी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , तत्कालीन गृहराज्यमंत्री हंसराज अहीर जी से भी पुलिस वालों की भलाई और बेहतरी के लिए सवाल किया. १८६१ पुलिस एक्ट को खत्म करने की वकालत की.
पुलिस को समर्थन देने की उसी नई धारा के शुरू करने के बाद प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी जैसी कई बड़ी राजनैतिक हस्तियों ने पुलिस वालों की खुल कर प्रशंशा की. पुलिस बल के वेलफेयर प्रयासों के लिए कई सेवानिवृत्त अधिकारियो ने सुरेश चव्हाणके जी को धन्यवाद भी किया है. आगे हमारे इस दिशा में सतत प्रयास जारी रहेंगे.. आज सुदर्शन न्यूज़ 15 साल पूरे होने पर सुदर्शन परिवार देश की आंतरिक सुरक्षा की जड़ पुलिस विभाग को और मजबूती दिलानेे का संकल्प लेता है