बढ़ती जनसँख्या देश के संसाधनों पर बोझ है। इस बात को सुदर्शन न्यूज़ के सीएमडी सुरेश चव्हाणके ने काफी पहले समझ लिया था। इसीलिए चव्हाणके ने "हम दो हमारे दो..तो सबके दो" आंदोलन के जरिये एक राष्ट्रव्यापी जन जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया था। उनका मानना है कि हिन्दू तो पहले ही हम दो हमारे दो नीति का स्वतः पालन कर रहा है। जबकि इस्लामी जेहादी अब भी अपनी जनसंख्या को निर्बाध रूप से बढ़ाने में लगे हुए है। इसीलिए राज्य व सरकार द्वारा एक सम्यक जनसंख्या नियंत्रण कानून की सख्त जरूरत है।
सुदर्शन की मुहिम अब रंग ला रही है। उत्तर प्रदेश का विधि आयोग अब ऐसे ही एक जनसंख्या नियंत्रण कानून का खाका खींच रहा है। फिलहाल आयोग अन्य प्रदेशों में लागू कानूनों के साथ सामाजिक परिस्थितियों और अन्य बिंदुओं पर अध्ययन कर रहा हैं। जल्द ही प्रतिवेदन तैयार कर सरकार को सौंपेगा।
इसके तहत दो से अधिक बच्चों के अभिभावकों को सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सुविधाओं में कितनी कटौती की जाए, इस पर मंथन होगा। फिलहाल राशन व अन्य सब्सिडी में कटौती के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जा रहा है।
राज्य में इस कानून के दायरे में अभिभावकों को किस समय सीमा के तहत लाया जाएगा। उनके लिए सरकारी सुविधाओं के अलावा सरकारी नौकरी में क्या व्यवस्था होगी, ऐसे कई बिदु भी बेहद अहम होंगे। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राजस्थान व मध्य प्रदेश में लागू कानूनों का अध्ययन शुरू कर किया गया है। बेरोजगारी व भुखमरी समेत अन्य पहलुओं को ध्यान में रखकर विभिन्न बिदुओं पर विचार के आधार पर प्रतिवेदन तैयार किया जाएगा।