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UPSC जिहाद करता प्रसारण मंत्रालयस सुदर्शन न्युज चैनल चे उत्तर...

जनता जनार्दन हो, *राष्ट्र सर्वपरी हे* ब्रीद धारण करून राष्ट्रधर्म जोपासण्यासाठी जीव हाती घेऊन कार्य करणे. किती कठीण कार्य आहे. हे आपल्याला सुदर्शन न्युज च्या UPSC जिहाद शो विरुद्ध चाललेल्या षडयंत्र तून कळलेच असेल. आणि ते नीट समजावून सांगण्यासाठी आम्ही प्रसारण मंत्रालयाला दिलेले उत्तर आपल्यापुढे ठेवतो आहे...

Snehal Joshi .
  • Oct 1 2020 7:07PM
तिथि : आश्विन शुक्ल द्वादशी (अधिक मास) विक्रम संवत 2077 प्रति,    प्रसारण सचिव जी, हिंदुस्थान सरकार,  शास्त्री भवन, इंद्रप्रस्थ (नई दिल्ली) १  विषय- बिंदास बोल के UPSC जिहाद सीरीज को लेकर आये २३-सितंबर २०२० के कारण बताओ नोटिस के जवाब के संदर्भ में जय हिंद !  आपके द्वारा भेजी गई नोटिस का उत्तर हमने 786 पृष्ठों के संलग्नक के साथ क़रीब १००० पृष्ठों में विस्तारपूर्वक दिया है। आपने १३ प्रश्न पूछे थे परंतु हम ६३ प्रश्नों के उत्तर दे रहे हैं जो माननीय न्यायालय से लेकर सोशल मीडिया में उठे हैं। उन प्रश्नों का भी उत्तर देना हम अपना कर्तव्य मानते हैं। कृपया इस गंभीर प्रयास को गंभीरता के साथ लें और हमारे विरूद्ध षड्यंत्रपूर्वक निर्मित भ्रमजाल को नष्ट कर हमारे साथ न्याय करें।  इस षड्यंत्र को समझने के लिए हमें इस सिद्धांत को स्वीकार करना होगा कि ऐसा भी होता है !  हिटलर के नाज़ी मंत्री गोएबल्स के सिद्धान्त के अनुसार एक झूठ कई बार बोलो और कई लोग बोलो, एक साथ बोलो तो वह सत्य के जैसा होने का भ्रम पैदा कर देता है, इसी का अनुसरण करके सुदर्शन चैनल की UPSC जिहाद सीरीज को बदनाम किया गया, लोगों को उकसाया गया और देश की संस्थाओं को भ्रमित किया गया. उसका परिणाम यह हुआ कि खोजी पत्रकारिता का शो क़ानूनी विवादों में फँसाया गया और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़े ख़तरे का ख़ुलासा अधर में अटक गया है। उधर इन परिस्थितियों का लाभ उठा कर संबंधित अपराधी सबूत मिटा रहे हैं। कल्पना कीजिये यदि हमारे ४ एपिसोड नहीं आते तो वैश्विक आतंकी संगठनों से ज़कात फ़ाउंडेशन के लिंक देश व दुनिया के सामने क्या आ पाते ? बचे हुए एपिसोड पर लगी रोक के कारण कई बड़े अपराधी और षड्यंत्रकारी संस्थाएं, जिनको जेल में होना चाहिए था, अभी खुलेआम घूम रहे हैं और अपने गुनाहों के सबूत मिटा रहे है। हमारे तार्किक व तथ्यात्मक सत्य को फ़र्ज़ी और सुपारी बहादुर पक्षपाती इतिहास वाले फ़ैक्ट चेकर के माध्यम से फ़ेक बता रहे हैं। हम पर कोर्ट का बंधन हैं, इस कारण हम उन्हें जवाब भी नहीं दे पा रहे हैं. हमारे अकेले के विरुद्ध यह सब क्यों हो रहा हैं, क्योकि हम एकमात्र चैनल है जो वैश्विक मानवता के दुश्मन “कट्टर इस्लामिक आतंकवाद” के विरुद्ध अपने प्राण हथेली पर लेकर, सारे ख़तरों को झेलते हुए राष्ट्रहित में सच्ची पत्रकारीता कर रहे हैं। इसी मज़हबी कट्टरता ने हमारे हज़ारों निर्दोष असैनिक नागरिकों को मारा हैं, जिनकी संख्या पाकिस्तान व चीन के विरुद्ध हुए युद्धों में बलिदानी सैनिकों की संख्या से कहीं अधिक है. हम इतनी बड़ी देशविरोधी राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय शक्तियों से लड़ रहे हैं तो प्रतिउत्तर में वह भी हमारे साथ छल कर सकती हैं, उनके “इंटलेक्चुअल स्लीपर सेल” हमें हमारे वास्तविक मुद्दे से भटका रहे हैं, इसे सरकर क्यों नहीं स्वीकार करती ?   जो चैनल डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को अपना हीरो मानता हो उसे याकूब मैनन और अफजल गुरू का विरोध करने पर मुस्लिम विरोधी साबित किया जा रहा है।  यूपीएससी जिहाद सीरीज में कट्टरपंथियो ने जो कहा वह मैंने प्रोमो के जरिये दिखा कर शो देखने के लिए लोगों का आह्वान किया तो उसे मुस्लिम विरोधी बताया गया। हमने देश-विदेश के आतंकियों के लिंक निकाले हैं, ये भी आतंकी यदि मुस्लिम ही हैं तो इसमें मेरा क्या कसूर ? मुझ पर मुसलमानों की छवि आंतकवादी के रूप में पेश करने का आरोप लगा है जिस पर मैं खुला आह्वान करता हूं कि विगत १५ वर्षों में मेरे किसी भी शो में एक भी शब्द “अल्लाह” अथवा "मुस्लिमों के पैग़म्बर" के विरोध में दिखाएं। मैं मुस्लिम पक्षकारों से पूछना चाहता हूँ कि मुस्लिमों की छवि मैंने आतंकवादियों की बनायी हैं या कट्टरपंथी मुसलमानों ने ?  आखिर क्यों उन्हें आज मेरे द्वारा मुस्लिम पहनावे का चित्र दिखाने पर आपत्ति दर्ज करानी पड़ रही है ? मैं तो केवल हिंदुस्थान में हूँ, फ्रांस, ब्रिटेन,नीदरलैंड, स्वीडन और न्यूज़ीलैंड में कौन है ? अपने समाज का हित चाहते हैं तो पहले आत्मवलोकन व आत्मचिंतन कीजिये।  क्या माथे पर तिलक और भगवा वस्त्र पहन कर एंकरिंग करना गुनाह है ? मैं मेरी पवित्र संस्कृति और महापराक्रमी महान पूर्वजों के प्रति अपार श्रद्धा रखता हूं और विदेशी आक्रांताओं का कठोर प्रतिकार करता हूं । इससे मैं मुस्लिम विरोधी कैसे हो जाता हूं ? मेरे महान पूर्वजों के बलिदान की बदौलत ही आज मैं अपने धार्मिक और अन्य सभी प्रकार की स्वतंत्रता का उपयोग कर पा रहा हूँ, साथ ही अपने धर्म और अपनी परंपराओं का निर्वहन कर पा रहा हूं। मंत्रालय और देश को सुदर्शन के प्रति सकारात्मक नज़रिया रखना चाहिए, हमारे पत्रकार अभिनेत्रियों के वाहनों का पीछा करने में न लग कर देश विरोधी ताकतों का पीछा करते हैं। हमने हमेशा टीआरपी की परवाह किए बिना “केवल चैनल नहीं, देश नंबर एक बनाना हैं” का नारा दिया है। ऐसे देशभक्त और राष्ट्र को सर्वोपरि मानने वाले चैनल को देश विरोधी और संविधान विरोधी साबित करने की कोशिश की जा रही है। सुदर्शन पर विज्ञापन देने वाले विज्ञापनदाताओं को खुलेआम धमकाया जा रहा है, जिससे चैनल को करोड़ों रुपए का आर्थिक नुक़सान हो रहा हैं। हमारे पीछे अंतराष्ट्रीय इस्लामिक माफ़िया कैसे पड़े हैं, मुझे व मेरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी जा रही हैं फिर भी हम देश को बचाने में लगे हैं। ये माफिया को आप #BoycottAmul हैशटैग पर जाकर देख सकते हैं। इन्होंने हमारे विज्ञापन देने वालों को धमकाया, विज्ञपन बंद कराए। उन्मे अमेरिकन मुस्लिम असोसियन और ब्रिटन के कट्टर पंधि समूह हैं। जो अपने ब्लू टिक धारी अधिकृत ट्विटर हैंडल से हमारे विरुध खुले आम अभियान चला रहे हैं। यदि यह विवाद आंतरिक है तो इसमें विदेशी माफ़िया, आतंकी समूहों का क्या काम? अगर इसमें विदेशी माफिया है तो सरकार हमें कटघरे में कैसे खड़ा कर रही? हम तो आपकी लड़ाई लड़ रहे. ब्रिटेन में इन माफ़िया ने जब वहाँ के मीडिया के विरुध मेरे जैसा  दुर्व्यवहार किया था तो ब्रिटेन सरकर इन इस्लामी माफिया के विरुद्ध मीडिया के साथ खड़ी रही थी। आज ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जी, जो २०१६ में मंत्री थे के २०१६ के बयान उपलब्ध।   जो चैनल जनहित में स्वास्थ्य विरोधी गुटका, पेप्सी, कोक, पिज्जा और बर्गर या शराब के “को ब्रांड” का विज्ञापन न चलाने का नैतिक निर्णय कर करोड़ों रूपये का नुकसान उठा रहा हो, उस चैनल पर सिद्धांतों से समझौता करने का आरोप लगाया जा रहा है। यह अति कष्टप्रद है।  सूदर्शन ही एकमात्र ऐसा चैनल है जो आपदा का समाचार दिखाने से पहले राहत सामग्री भेजता है, अकाल और सूखे में पानी की टंकियों को लगाने से लेकर किसानों के बीच उनके पशुओं के लिए चारा बांटता है। गाँवों को गोद लेकर उसका विकास कराता है। डैम का कीचड़ निकाल कर १० करोड़ लीटर तक पानी की क्षमता बढ़ाता है। बिना किसी धार्मिक भेदभाव के गरीब बच्चों को भी मुफ़्त में पत्रकार बनाता है।  दिल्ली में कई देशों के दूतावास है। उनके करोड़ों रूपए के मीडिया बजट हैं। वे पत्रकारों पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष खर्च भी करते हैं। हम उनका गिफ़्ट और उनकी पार्टी में जाना तो छोड़िए उनका पानी तक नहीं पीते। पैसे और गिफ्ट लेकर दूसरे देशों का गुणगान करने वाले चैनलों पर कोई भी नहीं बोलता पर भारत और भारतीयता की बात करने वाले सुदर्शन पर चौतरफ़ा सामूहिक हमले होते हैं। क्या प्रसारण मंत्रालय केवल अनुमति देने और सजा देने से आगे बढ़कर हमारा संरक्षण नहीं करेगा ? यह मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा का कर्तव्य सरकर का भी है. जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के लिए ७० दिनों में २०,००० किलोमीटर की सम्पूर्ण देश की मैंने यात्रा की। कई जगहों पर मुझे रोका गया, मेरी गिरफ़्तारियां हुई, पर मैं आगे बढ़ता गया। आज उस क़ानून के लिए सहमति बन रही है। हमारे इन सकारात्मक कार्य के लिए विरोधियों का तो छोड़िए सरकार या पालक मंत्रालय ने भी प्रशंसा का 1 पत्र तक नहीं भेजा, परंतू १५ वर्षों से हमारे विरूद फ़र्ज़ी शिकायतों के इतिहास को जानते हुए भी आपने हमें नोटिस भेजा इसका हमें दुःख हैं। अन्य सभी मुद्दों और सवालों का जवाब हमने संलग्न काग़ज़ातों में दिया है। इससे भी यदि आपका समाधान नहीं होता है तो किसी भी समय प्रत्यक्ष सुनवाई के लिए उपलब्ध हूं।  कृपया यह नोटिस वापस लेकर हमारे साथ न्याय करें। सकारात्मक सहयोग की प्रतीक्षा में। वंदे मातरम!  आपका अपना  सुरेश चव्हाणके  मुख्य प्रबंधक एवं मुख्य सम्पादक- सुदर्शन न्यूज 

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