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ठाकरे सरकार अपनी बची खुची इज्जत बरकरार रखने के लिए पालघर साधु हत्या काण्ड मामले को सीबीआई को सौंप दे - मनोज बारोट

फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले को

Sudarshan MH
  • Sep 1 2020 7:14PM
वसई - हालही में फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले को लेके महाराष्ट्र सरकार की किरकिरी हुई थी सुशांत के परिवार ने और सुशांत को चाहने वालो ने आवाज उठाई थी कि सुशांत केस की जांच सी.बी.आई द्वारा की जाए क्युकी महाराष्ट्र सरकार पुलिस जांच में हस्तक्षेप कर रही है ऐसा गंभीर आरोप बड़ी बड़ी हस्तियों ने लगाया था इसलिए यह मामला देश की सर्वोच्च न्यायालय में गया और मा. सर्वोच्च न्यायालय ने भी महाराष्ट्र सरकार को कठगरे में खड़ा कर आखिरकार इस केस को सी.बी.आई को सौंपा. इसका मतलब यही होता है कि सुशांत के परिवार को महाराष्ट्र सरकार से न्याय नहीं मिलता. इसलिए मा. सर्वोच्च न्याालय ने केस की जांच सी.बी.आई को सौंपी.

देश की न्यायिक प्रक्रिया पे जनता पूरा विश्वास करती है लेकिन मेरा हमारी सभी जांच एजेंसियों से और महाराष्ट्र सरकार से एक सवाल है कि सुशांत सिंह की हत्या हुई है या आत्महत्या? ये तो जांच के पश्चात ही पता चलेगा लेकिन महाराष्ट्र की संतभूमी पर पालघर जिले में दिनांक 16 अप्रैल को अखाड़ा के दो साधु और उनके ड्राइवर की हत्या पुलिस की मौजदगी में होती है फिर भी महाराष्ट्र की संवेदनहीन सरकार इस मामले में एक शब्द भी नहीं बोली. जब इस मामले में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री और हाल के विरोधी पक्ष नेता श्री देवेन्द्र फडणवीस ने जब सरकार से सवाल किया तब जाके महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और  महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने 19 अप्रैल को शाम को लोगो को इस मामले की जानकारी देते है.

इस मामले में वहा की भाजपा की सरपंच चिल्ला चिल्ला के अपराधियों का नाम बता रही थी. और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह इस मामले की निष्पक्ष जांच भी कर रहे थे. और मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार भले ही सोई थी लेकिन पालघर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने अपनी जिम्मेदारी का पालन करते हुए 106 आरोपियों को जैल के सलाखों के पीछे डाल दिया था. लापरवाही बरतने वाले पुलिसक्मियों को सस्पेंड किया और कहियो का तबदला भी किया. सही मायने में ऐसे अधिकारी को सम्मानित करना चाहिए था लेकिन ऐसा न कर के हमारी महाराष्ट्र सरकार एक महीने बाद नींद से जागी और गृहमंत्री ने एक महीने बाद घटना स्थल का जायजा लिया और इस दौरे को लेके ये कहना अनुचित नहीं होगा कि शायद हमारे गृहमंत्री अपना कोई राजकीय हेतु से आए थे और शायद वही किया. अपनी और सरकार की छवि  बेदाग होने से बचाने के लिए एक अच्छे पुलिस अफसर को कलंकित कर गए. 

इसके परिणाम स्वरूप कुछ दिनों पहले अखबारों के माध्यम से जानकारी मिली कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं करने से 28 लोगो को जामिन मिल गई. फिर भी मै व्यक्तिगत  रूप से इस मामले में तत्कालीन पुलिस अधिक्षक, वर्तमान पुलिस अधीक्षक या किसी भी पुलिस अधिकारी को दोषी नहीं मानता क्युकी उनके ऊपर भी शासन बैठा है.

मै वृतपत्रो के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार और गृहमंत्री से पूछना चाहता हूं कि जो अफसर अपनी जवाबदारी का निर्वाह करते हुए काम कर रहा था ऐसे अफसर को सख्ती की छुट्टी पे भेजा गया 28 दोषियों को जामिन मिल गई तो इस मामले में जनता कैसे विश्वास करे कि साधुओं को न्याय मिलेगा?

इसलिए मै ठाकरे सरकार को  बताना चाहता हूं कि यदि आप इस मामले में साधुओं को न्याय देना चाहते हो तो इस मामले की जांच आप खुद सी.बी.आई को सौंपे ताकि आपकी बची खुची इज्जत बरकरार रहे. और ऐसे मामलों में सरकार से विनंती करता हूं कि सरकार अपनी छबि पाकसाफ रखने के चक्कर में अच्छे अधिकारियों की छवि धूमिल न करे. अन्यथा इसे हमारे पुलिस अफसरों का मनोबल टूट सकता है.
 इसलिए वृतपत्रो के माध्यम से मै सरकार को विनंती  हूं कि इस मामले का स्पष्टीकरण दे. यदि महाराष्ट्र सरकार इसका जवाब या स्पष्टीकरण देने में असमर्थ है तो मै भाजपा महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष श्री चंद्रकांत दादा पाटिल और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्मंत्री और हाल के विरोधी पक्ष नेता श्री देवेन्द्र फडणवीस जी से विनंती करता हूं कि भाजपा महाराष्ट्र के सभी कार्यकर्ताओं को साधुओं को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पे उतर ने का आदेश देने की कृपा करे. क्युकी पालघर साधु हत्या मामले को लेके सोशियल मीडिया के माध्यम से सी.बी.आई जांच की मांग जोरो शोरो से चल रही है.

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