श्रीमहावीरजी/हिंडौनसिटी यह वात्सल्य भोजनशाला है। श्रीमहावीरजी में श्रावकों के लिए ऐसी दो निशुल्क भोजनशालाएं चल रही है। इनमें सुबह-शाम करीब पांच हजार से ज्यादा श्रावकों को कुर्सी-टेबल पर बैठाकर, बफर सिस्टम से नाश्ता-भोजन जिम्मा रहे हैं। साफे पहने वेटर्स भोजन परोसते हैं तो राजस्थान की संस्कृति झलकती है।
चरण छत्री पार्क परिसर और इसके पास ये भोजनशालाएं हैं। इनमें रतलाम और कोटा के कैटरर्स व हलवाइयों सहित 500 लोग व्यवस्था संभाल रहे हैं। दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर कमेटी, पंचकल्याणक एवं महामस्तकाभिषेक से जुड़े पदाधिकारी श्रावकों की सुविधाओं पर निगरानी कर रहे हैं। भास्कर ने दोनों भोजनशाला में सुविधाएं-व्यवस्थाएं देखी।
वात्सल्य भोजनशाला 1 : लाभार्थी इंद्रों-कलश चढ़ाने वाले परिवारों के 1500 से 1600 लोगों के लिए
भोजन व्यवस्था रतलाम के पंडित मुधकांत जोशी की टीम में शामिल 200 से ज्यादा लोग संभाल रहे हैं।
सुपरवाइजर बालकृष्ण ओझा के अनुसार पांडाल में टेबल- कुर्सी पर एक साथ 300 लोगों की भोजन व्यवस्था है। गोल्डन की तरह पाॅलिश वाली थाली, कटोरी, चम्मच काम में ली जा रही है। नाश्ते में इडली वड़ा, पोहा, उत्त्पम, डोसा, खम्मण, मठरी, दूध, गोटा, अकाली, खावड़ा सहित साउथ, गुजरात व राजस्थानी आइटम शामिल करते हैं। भोजन में मिस्सी रोटी, दाल, चपाती, व्यंजन, राजभोग, रवा डोसा, दाल-बाटी-चूरमा, बेसन गट्टा, बाफला बाटी, सादा बाटी, तवा रोटी, तंदूरी रोटी सहित अन्य आइटम।
भोजनशाला 2 : आमजन व श्रावकों के लिए बफर
यहां भोजन की व्यवस्था कोटा के चेतन जैन की टीम में शामिल 300 से ज्यादा लोग संभाल रहे हैं। 150 हलवाई, सब्जी काटने व चपाती बनाने के लिए 30 महिला-पुरुष, 100 वेटर, 20 सफाईकर्मी, 10 सुपरवाइजर हैं। नाश्ता सुबह 8 बजे से 10 बजे तक दिया जाता है। नाश्ते में छोला भटूरा, इडली सांभर, कचोड़ी, पोहा, चावल आदि। खाने में तीन तरह की सब्जी, तीन तरह के व्यंजन, पूड़ी, रोटी, पापड़, नमकीन आदि। दो रोटी मशीन से एक घंटे में 2500 रोटी बनती है।