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Sudarshan Exclusive: क्या आदित्य ठाकरे हैं फूट की असली वजह!... कई सालों का लावा आज फूटा... शिंदे का दुःख, लेकिन सुना किसी ने नहीं

एक अन्य कारण यह भी बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे के हर काम में आदित्य ठाकरे हस्तक्षेप करते थे। इसके आलावा आदित्य ठाकरे के प्रति उद्धव का रवैया काफी झुकाव पूर्ण था।

Akshat Shrotry
  • Jun 23 2022 1:15PM

हम सुदर्शन न्यूज़ के जरिये आपको कई बार यह बता चुके हैं कि महाराष्ट्र में राजनितिक घमासान अपने चार्म पर है। इस पुरे घमासान में ज्यादा नुकसान शिवसेना का ही हुआ है। शिवसेना इस समय टूट की कगार पर पहुंच चुकी है। एकनाथ शिंदे ने अपना दुःख कई वार जाहिर किया पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं था इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया है। आइये आपको लेख के माध्यम से बताते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है।

 सबसे पहले की बात आपको बताते हैं शिवसेना के विधायक दीपक वसंत केसरकर की। दीपक जो कि अब तक पूरी तरह से बागी तो नहीं हुए हैं लेकिन उद्धव को अल्टीमेटम दे चुके हैं। उन्होंने कहना कि अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो वे भी अपना रास्ता अलग कर लेंगे।

 शिवसेना के बागी लीडर एकनाथ शिंदे की तरह दीपक केसरकर भी चाहते हैं कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा से हाथ मिलाये। एकनाथ शिंदे उद्धव से लगातार एनसीपी और कांग्रेस विधायकों के रवैये पर लगाम लगाने की बात कर रहे थे, लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज किया गया।

 एक प्राप्त जानकारी के अनुसार शिंदे लगातार उद्धव को समझाने की कोशिश कर रहे थे, वे ही नहीं हम सब शिवसेना को बचाना चाहते थे, लेकिन उद्धव किसी भी सूरत में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के सामने मुंह नहीं खोलना चाहते थे। शायद वे उस एहसान तले दबे थे।

 एक अन्य कारण यह भी बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे के हर काम में आदित्य ठाकरे हस्तक्षेप करते थे। इसके आलावा आदित्य ठाकरे के प्रति उद्धव का रवैया काफी झुकाव पूर्ण था। कई परियोजनाएं जहाँ फायदा और नाम शिंदे को मिलना था लेकिन जबरन उसमें आदित्य ठाकरे का नाम जोड़ा गया।

 इस पुरे विवाद के बीच एक और बात निकल कर सामने आई है। शिवसेना में ऐसा क्या था जो अब उद्धव राज में नहीं है। जबकि उद्धव तो कह रहे हैं कि वर्तमान शिवसेना भी बाला साहेब वाली ही है और उन्हीं के विचारों से प्रेरित है जो हिंदुत्व पर कोई समझौता नहीं करती।

 एक पहले की रिपोर्ट के अनुसार बाला साहेब कहते थे कि उन्हें सहिष्णु हिंदू नहीं चाहिए क्योंकि सहिष्णुता महंगी पड़ी है। वो मिलिटेंट हिंदू की बात करते थे। वो बांग्लादेशी मुसलमानों को बॉर्डर तक छोड़कर आने की बात करते थे। वो कहते थे कि जैसे हिंदुओं को पाकिस्तान, बांग्लादेश या अरब मुल्कों में हक नहीं मिलता है, वैसा ही भारत में भी मुसलमानों को नहीं मिलना चाहिए।

 पैगंबर पर टिप्पणी विवाद में जब बीजेपी नेता घिरे तो शिवसेना ने इस मुद्दे पर भी पर बीजेपी की आलोचना की। बीजेपी राज में मुसलमानों से जुड़े बड़े मुद्दों पर शिवसेना ने भले ही कोई क्लियर स्टैंड न लिया हो लेकिन मुस्लिम समुदाय से जुड़े मसलों पर उसका रुख कड़ा भी नजर नहीं आया है।    

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