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UPSC जिहाद शो मामले में "तारीख पर तारीख" का दौर जारी. अगली सुनवाई 19 नवम्बर. रोक और स्टे ज़कात फाऊंडेशन पर नहीं, सिर्फ हम पर

हम अब भी आशा करतें है कि जल्द ही ये तारीख पर तारीख का दौर खत्म होगा , न्यायालय का निर्णय देश हित में होगा ...और फिर सुर्दशन का चक्र देश के दुश्मनों पर चलेगा ..

Rahul Pandey
  • Oct 26 2020 1:27PM
फिर बढ़ गई तारीख.. आखिर कब तक ये “तारीख पर तारीख” ?

जिस विषय पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई थी. जिस मामले में अन्तराष्ट्रीय साजिश का दावा किया गया है. जो तय करने वाला है देश का वर्तमान और भविष्य , अब उसी मामले में पड़ गई है एक नई तारिख और सच को बताने के लिए अभी देश को कुछ समय और देखना होगा सुप्रीम कोर्ट की तरफ.

UPSC जिहाद के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई जल्द समाप्त हो गई है और इस मामले में अगली तारीख भी तय कर दी गई है. इस मामले में उच्चतम न्यायालय में अगली डेट 19 नवंबर 2020 की दी गई है। इस बीच में भारत सरकार 
प्रसारण मंत्रालय ने कार्रवाई की रिपोर्ट देने के लिए अदालत से समय माँगा है। 

भारत सरकार के प्रसारण मंत्रालय के प्रतिनिधि की इसी मांग पर न्यायालय ने अगली तारीख तय की है. ऐसे में कुछ पीड़ा उठना स्वाभाविक है. सवाल ये है कि जब हमारे देश में न्यायपालिका का एक ही मानना है कि चाहे सौ गुनाहगार बच जाये पर एक निर्दोष को सजा नही मिलनी चाहिए , फिर उसके लिए कितनी भी तारीख देनी पडे.

पर ये बढती तारीखे न्याय मांगने वालों के लिए किसी बहुत बड़ी मुसीबत से कम नही हैं. क्योंकि न्याय मांगने वाले तो न्याय की आशा में सब कुछ छोड के बैठे रहतें पर जो गुनाहगार होते है वो उतने समय में आपने आप को बचाने के सारे षड्यत्र रचतें है. वो साम दाम दण्ड भेद सबका प्रयोग कर के न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करनें का प्रयास करतें हैं।

अब ज़रा सोचिये जिन पर पहले से ही ऐसी जगह से पैसे लेने का आरोप हो, जो दुनिया में आतंक फैलाने के लिए जाने जाते हों, वो अपने को बचाने के लिए क्या कुछ नही कर सकते ? और उनको लाभ मिल रहा है इस तारीख पर तारीख से क्योकि उन्हें समय मिल रहा है अपने गुनाहों के दाग को धोने का. 

जब सुदर्शन न्यूज़ जैसा कोई न्यूज चैनल और सुरेश चव्हाणके जैसे पत्रकार अपना सब कुछ दाव पर लगा कर देश को कुछ बताना चाह रहे हैं तब यह सबको सामूहिक रूप से सोचना चाहिए कि वो ऐसा क्यो कर रहे है? कोई ऐसे ही सब कुछ दांव पर नही लगा देता.

इस पर विचार न सिर्फ देश की जनता को करना चाहिए बल्कि भारत भाग्य विधाताओं को भी गहन मंथन की जरूरत है. जब सुदर्शन न्यूज़ चैनल ऐसे संस्थानो का सच सामने ला रहा है जो किसी न किसी रूप में देश के विरुद्ध ,इंसानियत के विरुद्ध खतरा बनने वालीं हैं तो उस आवाज दवाने के लिए सारे हथकंडे अपनाये जा रहे हैं.

कई प्रकार की मुहिम चलाई जा रही हैं. अपने को लोकतंत्र के सभी स्तंभों से ऊपर समझने वाले कुछ ज़कात समर्थक और साजिश में शामिल तत्व तारीख पर तारीख होने से बहुत खुश हैं, क्योकि वो सब कुछ वैसे ही हो रहा है, जैसा वो चाह रहे थे .. 

अभी तो हम संभल जायेंगे...पर आखिर कब तक ? क्योकि जब तक ये तारीख पर तारीख का खेल चलेगा , हमारे साथ अन्याय ही होगा, क्योकि हमें देश की चिंता है, हमें ऐसी संस्यथाओं का सच सामने लाना है जो देश में रह कर देश को खोखला कर रहीं हैं. 

और ये चिंता तब और बढ रही है जब न्याय में देरी कराने की तमाम साजिशें की जा रही है । हम न्यायालय को ज़कात फाऊंडेशन के खिलाफ पर्याप्त सबूत दे चुकें है, यहाँ तक कि उनके खातों में आने वाले पैसों का हिसाब ही.फिर भी ये तारीख पर तारीख हमारे देश के विरोधियों का पर्दाफाश करने के अभियान में बाधा बन रही है.

यहाँ ध्यान रखने योग्य है कि अब हमें अगली तारीख 26 अक्टूबर मिली है. इतना समय काफी होता है साजिश करने वालों के लिए सबूतों को खत्म करने के लिए. समाज के भी धैर्य की एक सीमा होती है वो भी तब जब उनके भविष्य से जुड़े मामले पर मंथन हो रहा हो. 

हमारी मांगे भी नहीं मानी गई जिसमे हमने कहा था कि ज़कात फाऊंडेशन के कार्यालयों को सील करके कोई भी सबूत मिटाने से रोका जाय. इतने के बाद भी हम सत्य की राह पर चलते हुए आशा करते हैं कि जीत हमारी ही होगी. हम वो सच देश और दुनिया को यकीनन बताएँगे जो उनके खिलाफ विदेशो से साजिश के रूप में चलाया जा रहा है. 

देवताओं का आशीर्वाद और राष्ट्र्पेमियो से मिले आत्मबल के दम पर हम इस मार्ग से इंच मात्र भी पीछे नही हटने को संकल्पित और वचनबद्ध हैं. देश और धर्म की रक्षा के लिए ही हम इस क्षेत्र में आये हैं और वामपंथी तत्वों के साथ कट्टरपंथी समूहों का जनमानस से मिले समर्थन और सहयोग से प्रतिकार करेंगे.  

आशा करतें है कि जल्द ही ये तारीख पर तारीख का दौर खत्म होगा , न्यायालय का निर्णय देश हित में होगा ...और फिर सुर्दशन का चक्र देश के दुश्मनों पर चलेगा .. लेकिन यहाँ एक बड़े जनमानस को स्वयं समझने और जानने के लिए काफी कुछ है कि राष्ट्रहित और धर्म रक्षा के मार्ग पर चलना कितना मुश्किल काम है. 
 

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