सेना के वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल सी पी मोहंती ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा, अगर भारत ने अपने सशस्त्र बलों में निवेश नहीं किया होता तो देश गलवान और डोकलाम में लड़ाई हार गया होता. लेफ्टिनेंट जनरल मोहंती ने कहा, "अगर देश ने सुरक्षा पर निवेश नहीं किया होता तो शायद हम कारगिल और डोकलाम में जंग हार गए होते. यहां तक कि जम्मू-कश्मीर में आंतरिक सुरक्षा को लेकर गतिरोध बना रहता. पूर्वोत्तर क्षेत्र में अशांति होती और नक्सलियों को भी खुली छूट मिली रहती."
गौरतलब है कि 2017 में डोकलाम में भारत और चीन के सैनिकों के बीच गतिरोध के चलते दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका भी पैदा हो गई थी. बता दें कि यह गतिराेध 70 दिनाें तक चलता रहा. दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद यह विवाद समाप्त हुआ था. इसके बाद पिछले साल पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया.
रविवार को सशस्त्र बलों पर खर्च पर बात करते हुए उन्होंने कहा, "यदि तिब्बत के पास मजबूत सशस्त्र बल होते तो कभी घुसपैठ नहीं की जाती." डोकलाम और गलवान की घटनाओं न सिर्फ देश का मान बढ़ाया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में देश को एक "बड़ा कद" भी दिया है. उन्होंने कहा कि "आज हर कोई सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत के बारे में बात करता है और यह एक बड़े देश के खिलाफ सुरक्षा कवच है."
लेफ्टिनेंट जनरल मोहंती ने कहा कि भारत के सशस्त्र बल राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं क्योंकि ये जाति, संप्रदाय और नस्ल से ऊपर हैं. उन्होंने जोर दिया कि भारतीय सशस्त्र बलों की कोई राजनीतिक आकांक्षा नहीं है और वे देश में राजनीति का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा, "ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां मिलिट्री लीडर्स की राजनीतिक आकांक्षाएं थीं. भारतीय सशस्त्र बलों की इस तरह की कोई आकांक्षाएं नहीं हैं, हम राजनीति का सम्मान करते हैं."