बता दें कि इस हॉट सीट पर मुख्य तीन दावेदार थे, जिनकी राजनीतिक लड़ाई इस वर्तमान चुनाव में देखना जनता के लिए खूब रोमांचक रहा, ममता बनर्जी के ही पूर्व सिपहसलाकर एवं करीबी "शुभेंदु अधिकारी" अपनी कुछ आपसी मतभेदों के कारण इस बार दीदी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के टिकट से मैदान में थे, वहीं लेफ्टिस्ट इतिहास वाला ये छेत्र, नंदीग्राम में लेफ्ट के नेता की तौर पर मीनाक्षी मुखर्जी इस बार अपनी किस्मत आजमा रही थी, और यह सीट इस बार इसलिए इतना मुख्य एवं, चर्चा में बनी रही, क्योंकि खुद तृणमूल की मुख्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसी सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया था, जिसके कारण से सीट आम से खास बन गयी थी।
हालांकि अब ममता की TMC पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव जीतने में एक कदम और आगे बढ़ गयी है, बेहद ही कड़े रोमांचक, एवं उतार चढ़ाव वाले इस मुकाबले में ममता ने महज़ 1200 वोटों से बाज़ी मार ली है, बता दें कि इस महामुकाबले में शुभेंदु ने शुरू में ममता को पछाड़े रखा, लेकिन अंत-अंत आते तक ममता ने जैसे तैसे मात्र 1200 वोटों से शुभेंदु को हार का स्वाद चखा दिया।
जानकारी दें दे कि इससे पहले 2016 में नंदीग्राम से कोई और नही बल्कि शुभेंदु ने ही बड़े अंतर से विजय प्राप्त की थी, 20 सालों बाद कोई हिन्दू नेता, का चेहरा नंदीग्राम की राजनीति पर छाया था, इससे पहले सन्न 1996 में कांग्रेस के देवीशंकर पांडेय ने इस जगह से जीत दर्ज की थी,
हालांकि जीत तो जीत ही होती है, मगर इस वर्ष जिस तरह covid 19 महामारी के बावजूद जिस तरह नेताओं ने covid नियमों का उलंघन किया, उससे कमसे कम नेताओं के घर तो रौनक हो गए, लेकिन कहीं न कहीं इसके प्रभाव से आम जनता के घरों के चिराग बुझ गए।